***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 14/10/2022, शुक्रवार
पंचमी, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
वृष
हल्की हंसी-मजाक न करें। विवाद हो सकता है। किसी व्यक्ति की नाराजी से मन खराब होगा। मित्रों तथा रिश्तेदारों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। मनोरंजन होगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। जल्दबाजी व लापरवाही भारी पड़ सकती है। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।
तिथि———– पंचमी 28:52:01 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— रोहिणी 20:46:04
योग——— व्यतापता 13:55:34
करण———– कौलव 15:56:02
करण———– तैतुल 28:52:01
वार———————– शुक्रवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि——————– कन्या
रितु————————– शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:19:38
सूर्यास्त—————- 17:50:21
दिन काल————- 11:30:42
रात्री काल————- 12:29:50
चंद्रास्त————— 10:25:43
चंद्रोदय—————- 20:52:48
लग्न—- कन्या 26°29′ , 176°29′
सूर्य नक्षत्र——————- चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————– रोहिणी
नक्षत्र पाया——————- लोहा
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वा—- रोहिणी 07:38:53
वी—- रोहिणी 14:11:31
वु—- रोहिणी 20:46:04
वे—- मृगशिरा 27:22:25
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कन्या 26 :49 चित्रा , 1 पे
चन्द्र =वृषभ 15 °23, रोहिणी , 2 वा
बुध =कन्या 09 ° 34′ उ o फाo ‘4 पी
शुक्र=कन्या 24°05, चित्रा ‘ 1 पे
मंगल=वृषभ 29°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°10’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°10 विशाखा , 1 ती
राहू काल 10:39 – 12:05 अशुभ
यम घंटा 14:58 – 16:24 अशुभ
गुली काल 07:46 – 09:12 अशुभ
अभिजित 11:42 – 12:28 शुभ
दूर मुहूर्त 08:38 – 09:24 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:28 – 13:14 अशुभ
वर्ज्यम 12:00 – 13:45 अशुभ
💮चोघडिया, दिन
चर 06:20 – 07:46 शुभ
लाभ 07:46 – 09:12 शुभ
अमृत 09:12 – 10:39 शुभ
काल 10:39 – 12:05 अशुभ
शुभ 12:05 – 13:31 शुभ
रोग 13:31 – 14:58 अशुभ
उद्वेग 14:58 – 16:24 अशुभ
चर 16:24 – 17:50 शुभ
🚩चोघडिया, रात
रोग 17:50 – 19:24 अशुभ
काल 19:24 – 20:58 अशुभ
लाभ 20:58 – 22:32 शुभ
उद्वेग 22:32 – 24:05* अशुभ
शुभ 24:05* – 25:39* शुभ
अमृत 25:39* – 27:13* शुभ
चर 27:13* – 28:46* शुभ
रोग 28:46* – 30:20* अशुभ
💮होरा, दिन
शुक्र 06:20 – 07:17
बुध 07:17 – 08:15
चन्द्र 08:15 – 09:12
शनि 09:12 – 10:10
बृहस्पति 10:10 – 11:07
मंगल 11:07 – 12:05
सूर्य 12:05 – 13:03
शुक्र 13:03 – 14:00
बुध 14:00 – 14:58
चन्द्र 14:58 – 15:55
शनि 15:55 – 16:53
बृहस्पति 16:53 – 17:50
🚩होरा, रात
मंगल 17:50 – 18:53
सूर्य 18:53 – 19:55
शुक्र 19:55 – 20:58
बुध 20:58 – 22:00
चन्द्र 22:00 – 23:03
शनि 23:03 – 24:05
बृहस्पति 24:05* – 25:08
मंगल 25:08* – 26:10
सूर्य 26:10* – 27:13
शुक्र 27:13* – 28:15
बुध 28:15* – 29:18
चन्द्र 29:18* – 30:20
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 03:29 से 05:36 तक
तुला > 05:36 से 07:46 तक
वृश्चिक > 07:46 से 10:06 तक
धनु > 10:06 से 12:36 तक
मकर > 12:36 से 14:14 तक
कुम्भ > 14:14 से 15:42 तक
मीन > 15:42 से 16:16 तक
मेष > 16:216 से 17:50 तक
वृषभ > 17:50 से 20:36 तक
कर्क > 20:36 से 01:06 तक
सिंह > 01:06 से 03:24 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 5 + 6 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
20 + 20 + 5 = 44 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* रोहिणी व्रत
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम् ।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्यातिवपुराख्याति भोजनम् ।।
।। चा o नी o।।
मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते।,
सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम् ॥,
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।,
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः ॥,
परन्तु जो पुरुष इन्द्रियों के समुदाय को भली प्रकार वश में करके मन-बुद्धि से परे, सर्वव्यापी, अकथनीय स्वरूप और सदा एकरस रहने वाले, नित्य, अचल, निराकार, अविनाशी, सच्चिदानन्दघन ब्रह्म को निरन्तर एकीभाव से ध्यान करते हुए भजते हैं, वे सम्पूर्ण भूतों के हित में रत और सबमें समान भाववाले योगी मुझको ही प्राप्त होते हैं॥,3-4॥,
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