***|| जय श्री राधे ||***
***महर्षि पाराशर पंचांग ***
***अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक-: 12/03/2022,शनिवार
नवमी, शुक्ल पक्ष
फाल्गुन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
दैनिक राशिफल
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
वृष
चोट व दुर्घटना से शारीरिक हानि की आशंका है। विवाद को बढ़ावा न दें। अतिउत्साह हानिप्रद रहेगा। कुसंगति से बचें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। किसी उलझन में फंस सकते हैं। विवेक से निर्णय लें। सार्वजनिक स्थान पर लोगों का ध्यान नहीं खींच पाएंगे। धैर्य रखें।
तिथि——— नवमी 08:07:00 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———-आर्द्रा 17:30:39
योग——— सौभाग्य 27:52:50
करण——- कौलव 08:07:00
करण——— तैतुल 21:17:19
वार———————-शनिवार
माह——————– फाल्गुन
चन्द्र राशि ——————- मिथुन
सूर्य राशि ——————- कुम्भ
रितु———————- शिशिर
सायन———————वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————– प्लव
संवत्सर (उत्तर)———— आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक) —-2078
शाका संवत————– 1943
वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:33:31
सूर्यास्त————– 18:24:42
दिन काल———– 11:51:11
रात्री काल———– 12:07:43
चंद्रोदय————- 12:51:47
चंद्रास्त————– 27:21:48
लग्न—-कुम्भ 27°16′ , 327°16′
सूर्य नक्षत्र——— पूर्वाभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र—————–आर्द्रा
नक्षत्र पाया—————–रजत
***पद, चरण ***
ङ—- आर्द्रा 10:48:11
छ—- आर्द्रा 17:30:39
के—- पुनर्वसु 24:11:42
***ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कुम्भ 27:12 ‘पू o भा o , 3 दा
चन्द्र =मिथुन 14°23, आर्द्रा, 3 ङ
बुध = कुम्भ 08 ° 07 ‘ शतभिषा ‘ 1 गो
शुक्र=मकर 11°05, श्रवण ‘ 1 खी
मंगल=मकर 10°30 ‘ श्रवण ‘ 1 खी
गुरु=कुम्भ 22°30 ‘ पू o भा o, 1 से
शनि=मकर 25°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व)वृषभ 01°40’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°40 विशाखा , 4 तो
***मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 09:31 – 11:00 अशुभ
यम घंटा 13:58 – 15:27 अशुभ
गुली काल 06:34 – 08:02 अशुभ
अभिजित 12:05 -12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:08 – 08:56 अशुभ
***चोघडिया, दिन***
काल 06:34 – 08:02 अशुभ
शुभ 08:02 – 09:31 शुभ
रोग 09:31 – 11:00 अशुभ
उद्वेग 11:00 – 12:29 अशुभ
चर 12:29 – 13:58 शुभ
लाभ 13:58 – 15:27 शुभ
अमृत 15:27 – 16:56 शुभ
काल 16:56 – 18:25 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ 18:25 – 19:56 शुभ
उद्वेग 19:56 – 21:27 अशुभ
शुभ 21:27 – 22:58 शुभ
अमृत 22:58 – 24:29* शुभ
चर 24:29* – 25:59* शुभ
रोग 25:59* – 27:31* अशुभ
काल 27:31* – 29:01* अशुभ
लाभ 29:01* – 30:32* शुभ
होरा, दिन
शनि 06:34 – 07:33
बृहस्पति 07:33 – 08:32
मंगल 08:32 – 09:31
सूर्य 09:31 – 10:31
शुक्र 10:31 – 11:30
बुध 11:30 – 12:29
चन्द्र 12:29 – 13:28
शनि 13:28 – 14:28
बृहस्पति 14:28 – 15:27
मंगल 15:27 – 16:26
सूर्य 16:26 – 17:25
शुक्र 17:25 – 18:25
होरा, रात
बुध 18:25 – 19:25
चन्द्र 19:25 – 20:26
शनि 20:26 – 21:27
बृहस्पति 21:27 – 22:27
मंगल 22:27 – 23:28
सूर्य 23:28 – 24:29
शुक्र 24:29* – 25:29
बुध 25:29* – 26:30
चन्द्र 26:30* – 27:31
शनि 27:31* – 28:31
बृहस्पति 28:31* – 29:32
मंगल 29:32* – 30:32
***उदयलग्न प्रवेशकाल ***
कुम्भ > 05:20 से 06:46 तक
मीन > 06:46 से 08:17 तक
मेष > 08:17 से 11:00 तक
वृषभ > 11:00 से 12:41 तक
मिथुन > 12:41 से 14:05 तक
कर्क > 14:05 से 16:25 तक
सिंह > 16:25 से 17:31 तक
कन्या > 17:31 से 08:43 तक
तुला > 08:43 से 11:12 तक
वृश्चिक > 11:12 से 02:24 तक
धनु > 02:24 से 03:28 तक
मकर > 03:28 से 05:20 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
स मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
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अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
9 + 7 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
***ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
9 + 9 + 5 = 23 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
***विशेष जानकारी ***
* नवमी तिथि वृध्दि
* बरसाना होली
* द्वितीय शनिवार
***शुभ विचार ***
सकृज्जल्पन्ति राजानः सकृज्जल्पन्ति पण्डिताः ।
सकृत्कन्याः प्रदीयन्ते त्रीण्येतानि सकृत्सकृत् ।।
।।चा o नी o।।
यह बाते एक बार ही होनी चाहिए..
१. राजा का बोलना.
२. बिद्वान व्यक्ति का बोलना.
३. लड़की का ब्याहना.
***सुभाषितानि ***
गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13
यावत्सञ्जायते किञ्चित्सत्त्वं स्थावरजङ्गमम् ।,
क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात्तद्विद्धि भरतर्षभ ॥,
हे अर्जुन! यावन्मात्र जितने भी स्थावर-जंगम प्राणी उत्पन्न होते हैं, उन सबको तू क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के संयोग से ही उत्पन्न जान॥,26॥,
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