वृष राशिफल 10 जून 2022

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वृष राशिफल 10 जून 2022

***|| जय श्री राधे ||***

**** महर्षि पाराशर पंचांग ****
**** अथ पंचांगम् ****
****ll जय श्री राधे ll****
**** **** **** **** ****

दिनाँक:- 10/06/2022, शुक्रवार
दशमी, शुक्ल पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

**** दैनिक राशिफल ****

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृष

आज का दिन आपके लिए उत्साह से भरपूर रहने वाला है। भूलेबिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपनी बुद्धिमत्ता से आप सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। निजीजनों में असंतोष हो सकता है। व्यापार में इच्छित लाभ होगा। आप अपने हुनर और साझेदारी से किए गए कार्यों में बखूबी धन कमाएंगे व लोगों का प्यार भी लूटेंगे। परिवार में छोटे बच्चों के साथ आप कुछ समय व्यतीत करेंगे। यदि आपने किसी सामाजिक योजना में धन का निवेश करने की सोचा है,तो उसमें आपको निराशा हाथ लगेगी। कार्यक्षेत्र में आपको एक के बाद एक लाभ के अवसर मिलते रहेंगे। साझेदारी में यदि आपने किसी व्यवसाय को चलाया है,तो उसमें आपको मन मुताबिक लाभ मिलेगा। किसी भी विदेश में रह रहे परिजन से कोई शुभ सूचना भी सुनने को मिल सकती है।

 

तिथि———– दशमी 07:25:28 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र————- चित्रा 27:35:29
योग———- वरियान 23:33:40
करण————– गर 07:25:27
करण———– वणिज 18:40:38
वार————————शुक्रवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——–कन्या 16:05:45
चन्द्र राशि——————– तुला
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————— नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:32
सूर्यास्त—————–19:12:55
दिन काल————- 13:48:22
रात्री काल————–10:11:37
चंद्रोदय————— 14:49:00
चंद्रास्त—————- 26:37:19

लग्न—- वृषभ 24°58′ , 54°58′

सूर्य नक्षत्र—————– मृगशिरा
चन्द्र नक्षत्र——————- चित्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत

**** पद, चरण ****

पे—- चित्रा 10:16:47

पो—- चित्रा 16:05:45

रा—- चित्रा 21:51:58

री—- चित्रा 27:35:29

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
**** **** **** **** **** **** ****
सूर्य=वृषभ 25:12 मृगशिरा , 1 वे
चन्द्र = कन्या 23°23 , चित्रा , 1 पे
बुध =वृषभ 03 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=मेष 20°05, भरणी ‘ 3 ले
मंगल=मीन 17°30 ‘ रेवती ‘ 1 दे
गुरु=मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 01°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 27°00’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 27°00 विशाखा , 3 ते

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 10:35 – 12:19 अशुभ
यम घंटा 15:46 – 17:29 अशुभ
गुली काल 07:08 – 08:52 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:46 शुभ
दूर मुहूर्त 08:10 – 09:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:46 – 13:42 अशुभ

चोघडिया, दिन
चर 05:25 – 07:08 शुभ
लाभ 07:08 – 08:52 शुभ
अमृत 08:52 – 10:35 शुभ
काल 10:35 – 12:19 अशुभ
शुभ 12:19 – 14:02 शुभ
रोग 14:02 – 15:46 अशुभ
उद्वेग 15:46 – 17:29 अशुभ
चर 17:29 – 19:13 शुभ

चोघडिया, रात
रोग 19:13 – 20:29 अशुभ
काल 20:29 – 21:46 अशुभ
लाभ 21:46 – 23:02 शुभ
उद्वेग 23:02 – 24:19* अशुभ
शुभ 24:19* – 25:35* शुभ
अमृत 25:35* – 26:52* शुभ
चर 26:52* – 28:08* शुभ
रोग 28:08* – 29:25* अशुभ

होरा, दिन
शुक्र 05:25 – 06:34
बुध 06:34 – 07:43
चन्द्र 07:43 – 08:52
शनि 08:52 – 10:01
बृहस्पति 10:01 – 11:10
मंगल 11:10 – 12:19
सूर्य 12:19 – 13:28
शुक्र 13:28 – 14:37
बुध 14:37 – 15:46
चन्द्र 15:46 – 16:55
शनि 16:55 – 18:04
बृहस्पति 18:04 – 19:13

होरा, रात
मंगल 19:13 – 20:04
सूर्य 20:04 – 20:55
शुक्र 20:55 – 21:46
बुध 21:46 – 22:37
चन्द्र 22:37 – 23:28
शनि 23:28 – 24:19
बृहस्पति 24:19* – 25:10
मंगल 25:10* – 26:01
सूर्य 26:01* – 26:52
शुक्र 26:52* – 27:43
बुध 27:43* – 28:34
चन्द्र 28:34* – 29:25

****  उदयलग्न प्रवेशकाल ****

वृषभ > 03:04 से 05:00 तक
मिथुन > 05:00 से 07:11 तक
कर्क > 07:11 से 09:30 तक
सिंह > 09:30 से 11:34 तक
कन्या > 11:34 से 13:50 तक
तुला > 13:50 से 16:05 तक
वृश्चिक > 16:05 से 18:26 तक
धनु > 18:26 से 20:26 तक
मकर > 20:26 से 22:12 तक
कुम्भ > 22:12 से 23:45 तक
मीन > 23:45 से 01:12 तक
मेष > 01:12 से 03:04 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

10 + 6 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शनि ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

सांय 18:40 प्रारम्भ

पाताल लोक =धन लाभ कारक

**** विशेष जानकारी ****

*निर्जला एकादशी व्रत (स्मार्त)

* भीमसेनी एकादशी

* यमुना महोत्सव मथुरा जी

**** शुभ विचार ****

पीतः क्रुध्देन तातश्चरणतलहता वल्लभो येन रोषा-
दाबाल्याद्विप्रवर्यैः स्ववदनविवरे धार्यते वैरिणी में ।
गेहं मे छेदयन्ति प्रतिदिवसमुमाकान्तपूजानिमित्तं
तस्मात्खिन्नासदात्हंद्विजकुलनिलयं नाथ युक्तं त्यजामि ।।
।। चा o नी o।।

हे भगवान् विष्णु, मेरे स्वामी, मै ब्राह्मणों के घर में इस लिए नहीं रहती क्यों की…..
अगस्त्य ऋषि ने गुस्से में समुद्र को ( जो मेरे पिता है) पी लिया.
भृगु मुनि ने आपकी छाती पर लात मारी.
ब्राह्मणों को पढने में बहोत आनंद आता है और वे मेरी जो स्पर्धक है उस सरस्वती की हरदम कृपा चाहते है.
और वे रोज कमल के फूल को जो मेरा निवास है जलाशय से निकलते है और भगवान् शिव की पूजा करते है.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत्‌।,
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम्‌॥,

जो भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गन्धयुक्त, बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है, वह भोजन तामस पुरुष को प्रिय होता है॥,10॥,

 

**** आपका दिन मंगलमय हो **** 
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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