वृष राशिफल 09 मई 2022

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वृष राशिफल 09 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग  *** 
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-09/05/2022,सोमवार
अष्टमी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल  ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृष

आज का दिन आपके चारों ओर का वातावरण सुखद रहेगा। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों से अपेक्षा पूर्ण नहीं होने से खिन्नता रहेगी। कार्य में विलंब होगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। व्यस्तता रहेगी। आपको एक के बाद एक शुभ सूचना सुनने को मिलती रहेगी। आप किसी परिजन के घर दावत पर जा सकते हैं। आप अपने ऊपर भी आज कुछ धन व्यय करेंगे। आप अपने लिए नए कपड़े,मोबाइल,लैपटॉप या फिर किसी नए वाहन की खरीदारी कर सकते हैं। पिताजी से आपका कोई वाद विवाद हो सकता है। संतान द्वारा कोई ऐसा कार्य किया जाएगा,जिससे आपके कुल का नाम रोशन होगा। आपका कोई बचपन का मित्र आपसे मिलने आ सकता है।

 

तिथि———– अष्टमी 18:31:54 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——– आश्लेषा 17:06:44
योग————- वृद्वि 20:41:28
करण——- विष्टि भद्र 05:50:21
करण————– बव 18:31:54
वार———————– सोमवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि——- कर्क 17:06:44
चन्द्र राशि—————— सिंह
सूर्य राशि——————– मेष
रितु————————- वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:35:30
सूर्यास्त—————- 18:56:09
दिन काल————- 13:20:39
रात्री काल————–10:38:40
चंद्रोदय————— 12:12:02
चंद्रास्त—————- 25:56:11

लग्न—- मेष 24°13′ , 24°13′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र————— आश्लेषा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

डे—- आश्लेषा 10:37:28

डो—- आश्लेषा 17:06:44

मा—- मघा 23:33:35

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मेष 24:12 भरणी , 4 लो
चन्द्र =कर्क24°23 , अश्लेषा , 3 डे
बुध =वृषभ 10 ° 07′ रोहिणी ‘ 1 ओ
शुक्र=मीन 13 °05, उo भा o ‘ 3 झ
मंगल=कुम्भ 23°30 ‘ पूoभाo’ 1 से
गुरु=मीन 05°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°40’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°40 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 07:16 – 08:56 अशुभ
यम घंटा 10:36 – 12:16 अशुभ
गुली काल 13:56 – 15: 36अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:23 – 16:16 अशुभ

गंड मूल अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
अमृत 05:36 – 07:16 शुभ
काल 07:16 – 08:56 अशुभ
शुभ 08:56 – 10:36 शुभ
रोग 10:36 – 12:16 अशुभ
उद्वेग 12:16 – 13:56 अशुभ
चर 13:56 – 15:36 शुभ
लाभ 15:36 – 17:16 शुभ
अमृत 17:16 – 18:56 शुभ

चोघडिया, रात
चर 18:56 – 20:16 शुभ
रोग 20:16 – 21:36 अशुभ
काल 21:36 – 22:56 अशुभ
लाभ 22:56 – 24:15* शुभ
उद्वेग 24:15* – 25:35* अशुभ
शुभ 25:35* – 26:55* शुभ
अमृत 26:55* – 28:15* शुभ
चर 28:15* – 29:35* शुभ

होरा, दिन
चन्द्र 05:36 – 06:42
शनि 06:42 – 07:49
बृहस्पति 07:49 – 08:56
मंगल 08:56 – 10:02
सूर्य 10:02 – 11:09
शुक्र 11:09 – 12:16
बुध 12:16 – 13:23
चन्द्र 13:23 – 14:29
शनि 14:29 – 15:36
बृहस्पति 15:36 – 16:43
मंगल 16:43 – 17:49
सूर्य 17:49 – 18:56

होरा, रात
शुक्र 18:56 – 19:49
बुध 19:49 – 20:43
चन्द्र 20:43 – 21:36
शनि 21:36 – 22:29
बृहस्पति 22:29 – 23:22
मंगल 23:22 – 24:15
सूर्य 24:15* – 25:09
शुक्र 25:09* – 26:02
बुध 26:02* – 26:55
चन्द्र 26:55* – 27:48
शनि 27:48* – 28:42
बृहस्पति 28:42* – 29:35

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 03:30 से 05:09 तक
वृषभ > 05:09 से 07:07 तक
मिथुन > 07:07 से 09:15 तक
कर्क > 0915 से 11:32 तक
सिंह > 11:32 से 13:48 तक
कन्या > 13:48 से 06:00 तक
तुला > 06:00 से 06:11 तक
वृश्चिक > 06:11 से 08:25 तक
धनु > 08:25 से 22:26 तक
मकर > 22:26 से 00:07 तक
कुम्भ > 00:07 से 01:48 तक
मीन > 01:48 से 03:30 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

8 + 1 + 1 = 10 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

शुक्र ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

8 + 8 + 5 = 21 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

प्रातः 05:50 तक

मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी

*** विशेष जानकारी ***

*श्री बगलामुखी जयंती

* श्रीजी मन्दिर 4 दिन चाव सवारी
राधाबल्लभ जी

*** शुभ विचार ***

सर्वौषधीनाममृतं प्रधानम्
सर्वेषु सौख्येष्वशनं प्रधानम् ।
सर्वेन्द्रियाणां नयनं प्रधानं
सर्वेषु गात्रेषु शिरः प्रधानम्।।
।। चा o नी o।।

अमृत सबसे बढ़िया औषधि है.
इन्द्रिय सुख में अच्छा भोजन सर्वश्रेष्ठ सुख है.
नेत्र सभी इन्द्रियों में श्रेष्ठ है.
मस्तक शरीर के सभी भागो मे श्रेष्ठ है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्ज्ञानयोगव्यवस्थितिः।,
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्‌॥,

श्री भगवान बोले- भय का सर्वथा अभाव, अन्तःकरण की पूर्ण निर्मलता, तत्त्वज्ञान के लिए ध्यान योग में निरन्तर दृढ़ स्थिति (परमात्मा के स्वरूप को तत्त्व से जानने के लिए सच्चिदानन्दघन परमात्मा के स्वरूप में एकी भाव से ध्यान की निरन्तर गाढ़ स्थिति का ही नाम ‘ज्ञानयोगव्यवस्थिति’ समझना चाहिए) और सात्त्विक दान (गीता अध्याय 17 श्लोक 20 में जिसका विस्तार किया है), इन्द्रियों का दमन, भगवान, देवता और गुरुजनों की पूजा तथा अग्निहोत्र आदि उत्तम कर्मों का आचरण एवं वेद-शास्त्रों का पठन-पाठन तथा भगवान्‌ के नाम और गुणों का कीर्तन, स्वधर्म पालन के लिए कष्टसहन और शरीर तथा इन्द्रियों के सहित अन्तःकरण की सरलता॥,1॥

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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