वो कड़वे वचन जिनसे खुशहाल होता है जीवन
जैन मुनि तरूण सागर
राष्ट्रसंत
हमारे समाज के हर धर्म में संतों, मुनियों व ज्ञानियों का प्रमुख स्थान रहा है। जैन धर्म में मुनि तरुण सागर महाराज का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। तरुण सागर महाराज को जैन धर्म के साथ साथ सभी धर्म के लोग बहुत ही आदर और सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। यह उनके व्यक्तित्व की विशालता ही है कि देश के साथ साथ विश्व में आज भी उनके अनेक अनुयायी हैं। समाज में मौजूद कई बुराइयों की तीखे शब्दों में आलोचना करने और कड़वे प्रवचन वाले गुरु के नाम से प्रसिद्ध राष्ट्र संत तरुण सागर महाराज के अनमोल वचन आज भी हमारे जीवन में मिठास घोल देते हैं। इसी कारण सभी धर्मों के व्यक्ति चाहे वह किसी भी ओहदे पर बैठा हो, उनके आगे नतमस्तक रहते हैं। यहां तक कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेता भी उनके मुरीद हैं। इनका असर न केवल खं्रल्ल रेंं्न जैन धर्म पर बल्कि हिंदुओं में भी काफी गहरा रहा है। इसी के चलते जब साल 2011 में उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (फरर) ने अपने विजयदशमी के कार्यक्रम में बुलाया था। तब उस दौरान उन्होंने कहा था कि स्वंयसेवक जिस चमड़े की बेल्ट का इस्तेमाल करते हैं वह अहिंसा के विपरीत है। इसके बाद आरएसएस ने अपनी ड्रेस से चमड़े की बेल्ट की जगह कैनवस की बेल्ट इस्तेमाल करनी शुरू कर दी। तरुण सागर जी महाराज को राष्ट्र संत का दर्जा इंदौर में ही मिला था। तरुण सागर जी महाराज अपने अनुयायियों को जो प्रवचन देते थे उन्हें कड़वे प्रवचन कहते थे। छोटी उम्र में ही मुनि बने तरुण सागर जी महाराज ने 26 जून 1967 को जन्म लिया था, ऐसे में इस साल शनिवार 26 जून 2021 को उनका अवतरण दिवस है । यह देश में सार्वाधिक सुने और पढ़े जाने वाले व दिल और दिमाग को झकझोर देने वाले जैन मुनि के रूप में जाने जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको मुनि तरुण सागर जी से जुड़ी कई बातें बताने के साथ ही उनके जीवन मंत्र व प्रमुख वचनों के बारे में भी बताने जा रहे हैं।
आचार्य तरुण सागर जी के अनमोल वचन
1. जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सीख लो। जिसने जीवन से समझौता करना सीख लिया वह संत हो गया। वर्तमान में जीने के लिए सजग और सावधान रहने की आवश्यकता है।
2. समाज व देश आम लोगों की वजह से नहीं बंटा है बल्कि उन खास लोगों की वजह से बंटा है जिन्हें आप संत, मुनि, आचार्य, मौलवी और पादरी कहते हैं।
3. पचास लाख साधु-सन्यासी और धर्मगुरु इस देश में है जिनकी किसी भी सामाजिक और राष्ट्रीय परिवर्तन में बड़ी भूमिका हो सकती है।
4. अगर यह खास लोग अपने अहम और वहम को छोड़कर सच्चे मन से तख्त और वक्त पर एक हो जाए तो रातों-रात समाज व देश का कायाकल्प हो सकता है।
4. जैन धर्म अपने अनुयायी को सिर्फ भक्त बनाकर नहीं रखता, बल्कि उसे खुद भगवान बनने की भी छूट देता है।
5. जैन धर्म हीरा है मगर दुर्भाग्य है, आज यह कोयला बेचने वालों के हाथ में आ गया है।
6. जो तुम्हारा बुरा करता है और बुरा सोचता है उसके प्रति भी तुम कल्याण का भाव रखो और उसे माफ कर दो। कारण कि वह किसी जन्म का तुम्हारा ही भाई है। अपने दांत से यदि जीभ कट जाती है तो क्या तुम अपने दांत को तोड़ डालते हो; नहीं ना। तो फिर अपने ही किसी भाई को उसकी गलती पर इतना आग-बबूला क्यों होते हो।
7. तुम्हें पता नहीं कि हर महापुरुष के पीछे एक खलनायक होता है। आलोचकों से डरो नहीं; आखिर पत्थर उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं जिस पर मीठे-मीठे फल लटक रहे होते हैं।
8. जिंदगी में कभी दुख और पीड़ा आए तो उसे चुपचाप पी जाना। अपने दुख और दर्द दुनिया के लोगों को मत दिखाते फिरना; क्योंकि वह डॉक्टर नहीं है जो तुम्हारी समस्या का समाधान कर दे।
9. यह दुनिया जालिम है। तुम्हारे दुख-दर्द को रो-रोकर पूछेगी और हंस-हंसकर दुनिया को बताएगी। अपने जख्म उन लोगों को ना दिखाओ जिनके पास मरहम ना हो। वे खुदगर्ज लोग मरहम लगाने की बजाए जख्मों पर नमक छिड़क देंगे।
10. जब भी जिÞंदगी में संकट आता है तो सहन शक्ति पैदा करो। जो सहता है वो रहता है ।
11. यदि कोई आपको गालियां देता है और आप उसे स्वीकार नहीं करते
तो वह गालियां उसी व्यक्ति के पास रह जाती हैं। कोई आपको कुत्ता कहता है तो आप उसपर भौंके नहीं अपितु मुस्काएं। गालियां देनेवाला स्वयं ही शमिंर्दा हो जाएगा। अन्यथा तुम सचमुच कुत्ता बन जाओगे।
12. युवतियां कभी भी घर से भागकर शादी मत करना। विधर्मी से शादी करने पर आपको वह सब भी करना पद सकता है जिसकी कल्पना आपने कभी भी नहीं की होगी। तीन घंटे की फिल्म और वास्तविक जीवन में काफी अंतर होता है। अत: कोई भी काम जाग्रत अवस्था में ही करो।
13. लड़ लेना, झगड़ लेना, पिट जाना, पीट देना झ्र लेकिन बोलचाल मत बंद करना।
14. मंजिल मिले या न मिले यह मुकद्दर की बात है। लेकिन हम कोशिश नहीं करें यह गलत बात है।
15. अपनी समझ और अपनी आंख पर नियंत्रण रखो, जीवन संवर जाएगा।
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