Tamil Nadu News: मदुरै में विश्व प्रसिद्ध तीन दिवसीय जल्लीकट्टू कार्यक्रम शुरू

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Tamil Nadu News: मदुरै में विश्व प्रसिद्ध तीन दिवसीय जल्लीकट्टू कार्यक्रम शुरू
Tamil Nadu News: मदुरै में विश्व प्रसिद्ध तीन दिवसीय जल्लीकट्टू कार्यक्रम शुरू

Jallikattu Begins, (आज समाज), मदुरै: तमिलनाडु के मदुरै में विश्व प्रसिद्ध तीन दिवसीय जल्लीकट्टू कार्यक्रम आज शुरू हुआ। अवनियापुरम गांव (Avaniyapuram Village) में पहले दिन 1,100 बैल और 900 बैल-प्रशिक्षक भाग ले रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ बैल को 11 लाख रुपए का ट्रैक्टर दिया जाएगा, जबकि सर्वश्रेष्ठ बैल-प्रशिक्षक को अन्य पुरस्कारों के साथ 8 लाख रुपए की कार मिलेगी।

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दो अन्य कार्यक्रम 15 और 16 जनवरी को 

मदुरै में अन्य दो जल्लीकट्टू कार्यक्रम क्रमश: 15 जनवरी और 16 जनवरी को पलामेदु और अलंगनल्लूर में आयोजित किए जाएंगे। कार्यक्रमों के आयोजन के लिए कड़े नियम और सुरक्षा उपाय किए गए हैं। मदुरै जिला प्रशासन के निर्देंशों के अनुसार, प्रत्येक बैल जिले में तीन जल्लीकट्टू प्रतियोगिताओं में से केवल एक में भाग ले सकता है। हरके बैल के साथ केवल उसका मालिक और बैल से परिचित प्रशिक्षक ही हो सकता है।

भागीदारी के लिए टोकन अनिवार्य

बैलों को काबू करने वालों और बैल मालिकों को आधिकारिक जिला प्रशासन की वेबसाइट madurai.nic.in के माध्यम से पंजीकरण कराना होगा। सभी जमा किए गए दस्तावेजों को अधिकारियों सत्यापित करेंगे। केवल पात्र समझे जाने वाले लोगों को ही डाउनलोड करने योग्य टोकन प्राप्त हुआ है, जो भागीदारी के लिए जरूरी है। इस टोकन के बिना, न तो बैलों को काबू करने वालों और न ही बैलों को कार्यक्रम में प्रवेश करने की अनुमति है।

पुदुक्कोट्टई जिले में हुआ है पहला कार्यक्रम

मदुरै का जल्लीकट्टू कार्यक्रम विशेष रूप से अलंगनल्लूर में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमिल विरासत और ग्रामीण वीरता के जीवंत उत्सव के रूप में पहचाना जाता है। 2025 के लिए पहला जल्लीकट्टू कार्यक्रम तमिलनाडु के पुदुक्कोट्टई जिले के थाचनकुरिची गांव में शनिवार को आयोजित किया गया। पुदुक्कोट्टई जिला सबसे अधिक संख्या में वडिवासल (बैलों के लिए प्रवेश बिंदु) और तमिलनाडु में सबसे अधिक जल्लीकट्टू कार्यक्रमों की मेजबानी करने के लिए जाना जाता है। जनवरी से 31 मई के बीच, जिले में 120 से ज्यादा जल्लीकट्टू कार्यक्रम, 30 से ज्यादा बैलगाड़ी दौड़ और 50 से ज्यादा वडामडू (बंधे हुए बैल) कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

जानिए इतिहास और कैसे मनाया जाता है जल्लीकट्ट

जल्लीकट्टू का इतिहास 400-100 ईसा पूर्व का है, जब भारत में एक जातीय समूह अयार इसे खेलते थे। सदियों पुराना यह बैल-वशीकरण कार्यक्रम ज्यादातर तमिलनाडु में पोंगल उत्सव के हिस्से के रूप में मनाया जाता है। इसमें , एक बैल को लोगों की भीड़ में छोड़ दिया जाता है और कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोग बैल की पीठ पर मौजूद बड़े कूबड़ को पकड़कर उसे रोकने की कोशिश करते हैं। जल्लीकट्टू नाम दो शब्दों से बना है: जल्ली (चांदी और सोने के सिक्के) और कट्टू (बंधा हुआ)।

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