Tamil Nadu Crime: तमिलनाडु बसपा के अध्यक्ष के. आर्मस्ट्रॉन्ग की धारदार हथियारों से हत्या

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Tamil Nadu Crime तमिलनाडु बसपा के अध्यक्ष के. आर्मस्ट्रॉन्ग की धारदार हथियारों से हत्या
Tamil Nadu Crime : तमिलनाडु बसपा के अध्यक्ष के. आर्मस्ट्रॉन्ग की धारदार हथियारों से हत्या

Tamil Nadu BSP President Murdered, (आज समाज), चेन्नई: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. आर्मस्ट्रॉन्ग की हत्या कर दी गई। पुलिस के मुताबिक, वारदात शुक्रवार की है। अधिकारियों ने बताया कि आर्मस्ट्रॉन्ग पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ चेन्नई में वेणुगोपाल स्ट्रीट स्थित अपने घर के सामने थे और उसी दौरान दो बाइक पर आए छह लोगों ने उन पर धारदार हथियारों से हमला कर दिया। वारदात के बाद हमलावर फरार हो गए। कार्यकर्ता उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने आर्मस्ट्रॉन्गक को मृत घोषित कर दिया।

मायावती ने की दोषियों को सख्त सजा देने की मांग, 8 पकड़े

बसपा प्रमुख मायावती ने वारदात की कड़ी निंदा करते हुए तमिलनाडु सरकार से हमले के आरोपियों को सख्त सजा देने की मांग की है। हत्याकांड को लेकर बसपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर दिया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस को प्रदर्शनकारियों को शांत करने में काफी मशक्त करनी पड़ी। पुलिस ने हमलावरों की तलाश के लिए दस टीमें बनाई हैं और रात ही आठ लोगों को हिरासत में लिया गया है।

जानें कौन थे के.आर्मस्ट्रॉन्ग

के.आर्मस्ट्रॉन्ग ने तिरुपति की वेंकटेश्वरा यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली थी और वह चेन्नई कोर्ट में वकालत करते थे। 2006 में उन्होंने निगम पार्षद का चुनाव लड़कर जीता और उसी साल उन्हें तमिलनाडु बसपा का प्रमुख बनाया गया। वर्ष 2011 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में आर्मस्ट्रॉन्ग ने कोलाथुर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

दलितों व वंचितों के अधिकारों के समर्थक थे आर्मस्ट्रॉन्ग

आर्मस्ट्रॉन्ग के परिवार में पत्नी और एक बेटी है। आर्मस्ट्रॉन्ग दलितों और वंचितों के अधिकारों के समर्थक थे और इसे लेकर काफी मुखर थे। चेन्नई में बसपा का जनाधार खास नहीं है, लेकिन के आर्मस्ट्रॉन्ग दलित वर्ग की राजनीति का एक जाना पहचाना नाम थे।

राजनीतिक बयानबाजी

बसपा प्रदेश अध्यक्ष की हत्या पर राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने कहा, आर्मस्ट्रॉन्ग की हत्या से गहरा सदमा लगा। हिंसा और क्रूरता का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है, लेकिन पिछले 3 वर्षों में डीएमके शासन में यह एक सामान्य बात बन गई है। राज्य की कानून-व्यवस्था को तहस-नहस करके रख देने के बाद, स्टालिन को खुद से पूछना चाहिए कि क्या राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।