आज समाज डिजिटल, काबुल:
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद स्थितियां बदलनी शुरू हो गई हैं। अधिकतर देशों ने दूतावास बंद कर दिए हैं। अपने लोगों को वापस बुलाया जा रहा है। भारत ने भी दूतावास खाली कर दिया है। ऐसे में बताते चलें कि तालिबान भारत से रिश्ते चाहता है। तालिबान ने मांग की है कि वो काबुल में राजनयिक मौजूदगी को बरकरार रखे। इस बारे में अभी तक भारत की ओर से चुप्पी है। तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास ने काबुल पर कब्जे के बाद सूत्र के जरिये भारत को संदेश भेजकर कहा था कि भारतीय अथॉरिटी को बताया जाए कि काबुल में कोई खतरा नहीं है। वे तालिबान के शीर्ष नेताओं में शामिल हैं। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद जब भारत अपने राजनयिकों को निकालने की तैयारी में था, तब उन्होंने ने अपने सूत्र के जरिये संदेश भेजा। यह भी बताया कि अगर भारत को इस बात की चिंता है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्करे झांगवी या हक्कानी ग्रुप से उसके दूतावास को खतरा है, तो ऐसा नहीं है। तालिबान की तरफ से भारत को भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि काबुल तालिबान के पास है, यहां कोई और (लश्कर, जैश, झांगवी) नहीं है।बीते दिन विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि अफगानिस्तान पर भारत अभी इंतजार करो और देखो की नीति पर है।
अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद स्थितियां बदलनी शुरू हो गई हैं। अधिकतर देशों ने दूतावास बंद कर दिए हैं। अपने लोगों को वापस बुलाया जा रहा है। भारत ने भी दूतावास खाली कर दिया है। ऐसे में बताते चलें कि तालिबान भारत से रिश्ते चाहता है। तालिबान ने मांग की है कि वो काबुल में राजनयिक मौजूदगी को बरकरार रखे। इस बारे में अभी तक भारत की ओर से चुप्पी है। तालिबान के वरिष्ठ नेता शेर मोहम्मद अब्बास ने काबुल पर कब्जे के बाद सूत्र के जरिये भारत को संदेश भेजकर कहा था कि भारतीय अथॉरिटी को बताया जाए कि काबुल में कोई खतरा नहीं है। वे तालिबान के शीर्ष नेताओं में शामिल हैं। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद जब भारत अपने राजनयिकों को निकालने की तैयारी में था, तब उन्होंने ने अपने सूत्र के जरिये संदेश भेजा। यह भी बताया कि अगर भारत को इस बात की चिंता है कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्करे झांगवी या हक्कानी ग्रुप से उसके दूतावास को खतरा है, तो ऐसा नहीं है। तालिबान की तरफ से भारत को भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि काबुल तालिबान के पास है, यहां कोई और (लश्कर, जैश, झांगवी) नहीं है।बीते दिन विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि अफगानिस्तान पर भारत अभी इंतजार करो और देखो की नीति पर है।