Taj Corridor Scam में यूपी की पूर्व सीएम मायावती सहित 11 आरोपी

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Taj Corridor Scam
ताज कारिडोर घोटाले में पूर्व सीएम मायावती सहित 11 आरोपी

Aaj Samaj (आज समाज), Taj Corridor Scam, लखनऊ: ताज कारिडोर घोटाले में उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) पार्टी की प्रमुख मायावती सहित 11 आरोपी पाए गए हैं। यह 175 करोड़ रुपए का घोटाला है और इस परियोजना में सीबीआई को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (एनपीसीसी) के सेवानिवृत्त एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ बीस साल बाद पहली बार अभियोजन की मंजूरी मिल गई है।

  • 175 करोड़ रुपए का है यह घोटाला
    बढ़ सकती हैं मायावती की मुश्किलें

मामले की सुनवाई 22 मई को

मायावती, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व यूपी सरकार के अधिकारियों सहित 11 लोगों को मामले में आरोपी बनाया गया था। मायावती व नसीमुद्दीन सहित सरकार के बाकी अफसरों के खिलाफ अभियोजन का मामला लंबित चल रहा है। सीबीआई पश्चिम के विशेष न्यायाधीश की अदालत में मामले की सुनवाई 22 मई को होगी और इसी दिन सीबीआई को इससे जुड़े आरोपियों को लेकर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) के बारे में भी जानकारी देनी होगी।

अक्टूबर-2002 दर्ज किया गया था मामला

पांच अक्टूबर-2002 को ताज कारिडोर घोटाले को लेकर केस दर्ज किया गया था। 2003 में सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की। परिजोजना को लेकर लखनऊ में 2002 में हुई बैठक में एनपीसीसी से काम करवाने की सहमति बन गई थी। इसके बाद एनपीसीसी ने परियोजना पर काम शुरू कर दिया था।

ठेके का आवंटन किए बिना ही जारी की धनराशि

सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि ताज कारिडोर को बनाने के लिए एनपीसीसी को ठेके का आवंटन किए बिना ही 17 करोड़ और 20 करोड़ की धनराशि जारी कर दी गई थी। कंपनी को न वर्क आर्डर जारी किया गया था न ही डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) ली गई थी। अब 20 साल बाद एनपीसीसी के तत्कालीन एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के बाद दोबारा से घोटाले की परतें खुल सकती हैं।

सीबीआई रजनीकांत अग्रवाल को बनाएगी गवाह

सीबीआई एनपीसीसी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक रजनीकांत अग्रवाल को इस मामले में अतिरिक्त गवाह बनाने जा रही है। इससे मायावती नसीमुद्दीन सिद्दीकी तथा अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हालांकि 2007 में मायावती व नसीमुद्दीन के खिलाफ तथा 2009 में आरके शर्मा व आरके प्रसाद के खिलाफ अभियोजन को अस्वीकृत कर दिया गया था। उसके बाद सीबीआइ ने दोबारा अभियोजन को लेकर स्वीकृति मांगी थी, जो लंबित चल रही है।

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