Swami Gyananand Maharaj सार्थक जीवन का आधार है गीता

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पाठ्यक्रम की औपाचारिक शुरुआत करते स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, कुलपति व समकुलपति।
पाठ्यक्रम की औपाचारिक शुरुआत करते स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, कुलपति व समकुलपति।
  • -हकेवि में मूल्य सवंर्धित पाठ्यक्रम श्रीमद्भगवत गीता से जीवन कौशल की सीख का हुआ शुभारंभ

Aaj Samaj (आज समाज), Swami Gyananand Maharaj, नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के प्रबंधन अध्ययन विभाग द्वारा विद्यार्थियों को श्रीमद्भगवत गीता से जीवन कौशल की सीख पर आधारित मूल्य संवर्धित पाठ्यक्रम अध्ययन के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत विद्यार्थियों को उपलब्ध इस पाठ्यक्रम का औपचारिक रूप से शुभारंभ शुक्रवार को गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज द्वारा किया गया।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, समकुलपति प्रो. सुषमा यादव, विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. मनोज अवस्थी व डॉ. बी.आर. अम्बेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, सोनीपत के पूर्व कुलपति प्रो. विनय कपूर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने विद्यार्थियों को श्रीमद्भगवत गीता से व्यक्तित्व विकास के सूत्र विषय पर संबोधित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। इसके पश्चात विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि व वक्ता स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज का आभार व्यक्त किया और कहा कि अवश्य ही उनके द्वारा कहे गए शब्द सभागार में उपस्थित समस्त प्रतिभागियों के जीवन को बेहतर बनाने में मददगार साबित होंगे।

कुलपति ने अपने संबोधन में विशेष रूप से हरियाणा राज्य व उसकी पहचान गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि वे देश-विदेश में सदैव अपने परिचय में इसे शामिल करते रहे हैं। कुलपति ने कहा कि गीता एक मानवीय ग्रंथ है और यह जीवन जीने की कला सीखाता है। मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति, त्यौहार, परम्पराओं के माध्यम से बताया कि किस तरह से ये सभी भारत की एकता व अखंडता को बनाए रखने में मददगार हैं। उन्होंने व्यक्तित्व विकास हेतु सक्रिय, सजग व जागरूक तीन महत्त्वपूर्ण पक्षों का उल्लेख करते हुए युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

सक्रिय से सीधा तात्पर्य शारीरिक रूप से तत्परता, सजग से मानसिक रूप से तत्परता और जागरूक का सीधा संबंध चेतना की जागृति से व्यक्त किया। गीता मनीषी ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को लक्ष्य निर्धारित करने, उसके प्राप्त करने के लिए योजना तैयार करने और उस योजना के क्रियान्वयन हेतु कर्म करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि तन, मन और बुद्धि सही राह पर रहेगी तो वर्तमान बेहतर होगा और भविष्य अपने आपन उज्जवल बनेगा।

इससे पूर्व में विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आनंद शर्मा मूल्य ने संवर्धन पाठ्यक्रम पर प्रकाश डाला और बताया कि यह पाठ्यक्रम चार क्रेडिट का है, जिसमें जीवन कौशल का ज्ञान विद्यार्थियों को प्रदान किया जााता है। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया और विशेष रूप से स्वामी ज्ञानानंद महाराज व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से ही आज गीता के ज्ञान पर यह कार्यक्रम आयोजित हो सका।

कार्यक्रम में मंच का संचालन हिंदी विभाग के सह आचार्य व कार्यक्रम समन्वयक डॉ. कामराज सिंधु ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रो. सुनीता श्रीवास्तव, प्रो. नीलम सांगवान, प्रो. सुरेंद्र सिंह, प्रो. कांति प्रकाश, प्रो. नंद किशोर, डॉ. सुनीता तंवर सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे।

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