Surya Mission Aditya-L1: देश की बेटी संभाल रही पहले सौर मिशन की कमान भी

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Surya Mission Aditya-L1

Aaj Samaj (आज समाज), Surya Mission Aditya-L1, नई दिल्ली: भारतीय सेना व वायु सेना से लेकर आज हर क्षेत्र में कार्यरत देश की बेटियां अंतरिक्ष क्षेत्र में भी पीछे नहीं हैं। इसरो के चंद्रयान-3 ने हाल ही में चांद पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा है और इसके बाद शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षेपण किया गया। इन दोनों मिशन में भी भारत की नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है।

  • वैश्विक वैज्ञानिक बिरादरी के लिए सूर्य मिशन एक संपत्ति : निगार

आदित्य एल1 परियोजना की निदेशक हैं निगार

एक रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु के तेनकासी निवासी 59 वर्षीय निगार शाजी आदित्य एल1 का नेतृत्व कर रही हैं। वह परियोजना की निदेशक हैं और आठ साल से इस जटिल मिशन को संभाल रही हैं। निगार ने इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ और निदेशकों को उनकी टीम पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा, मैं इस मिशन का हिस्सा बनकर वास्तव में सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।

एल1 बिंदु के अपने सफर पर आदित्य

निगार ने बताया कि आदित्य-एल1 के सौर पैनल अब तैनात कर दिए गए हैं और यान ने एल1 (बिंदु) तक अपनी 125 दिन की लंबी यात्रा शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, आदित्य एल1 के चालू होने के बाद, यह हेलियोफिजिक्स के साथ-साथ वैश्विक वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक संपत्ति होगी। बता दें कि मून मिशन में भी तमिलनाडू की मयिलसामी अन्नादुरई, एम वनिता और पी वीरमुथुवेल की अहम भूमिका है।

इसरों में 16,000 से अधिक कर्मचारियों में से 20-25 फीसदी महिलाएं

चंद्रयान-3 के उप परियोजना निदेशक के रूप में कल्पना ने इसके जटिल विवरणों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण किया है। उनके पूर्व अनुभव में दूसरे चंद्रमिशन और मंगलयान मिशन में योगदान शामिल था। उनसे पहले, एम वनिता चंद्रयान-2 मिशन की परियोजना निदेशक और रितु करिधल श्रीवास्तव मिशन निदेशक थीं, जिसे 2019 में लॉन्च किया गया था। प्रमुख भूमिकाओं के अलावा, इसरो के लगभग सभी मिशनों में बड़ी संख्या में महिलाएं बड़े स्तर पर काम कर रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इसरों में 16,000 से अधिक कर्मचारियों में से लगभग 20-25 फीसदी महिलाएं हैं।

हरियाणा : आदित्य एल1 बनाने में रोहतक की भी अहम भूमिका

आदित्य एल1 बनाने में हरियाणा के रोहतक की भी अहम भूमिका है। इस अंतरिक्ष यान को सूर्य मिशन पर भेजने वाले पीएसएलवी-सी-57 में लगे 106 प्रकार के 76000 नट बोल्ट रोहतक की एलपीएस बोशार्ड कंपनी में बने हैं। बोशार्ड के जनरल मैनेजर मुकेश सिंह के अनुसार इसरो ने 2018 में उन्हें नट बोल्ट बनाने के लिए आॅर्डर दिया था। इसके बाद 2020 तक 106 तरह के 76000 नट बोल्ट तैयार किए गए। इस बीच इसरो के वैज्ञानिकों ने 12 बार कंपनी का दौरा किया और कई परीक्षण के बाद 76000 नोट बोल्ट की डिलीवरी इसरो को की गई। मुकेश सिंह ने बताया कि चंद्रयान-3 के लिए भी कंपनी ने डेढ़ लाख नट बोल्ट तैयार किए थे।

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