Aaj Samaj (आज समाज), Surrogacy, नई दिल्ली: अकेली रह रही युवती व अविवाहित महिलाओं को सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा करने के विकल्प का लाभ उठाने की अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्जल भुइयां की पीठ ने मंगलवार को मामले में सुनवाई की शुरुआत में याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज कर दिया गया। इस बीच जब यह पता चला कि महिला ने अपने अंडे फ्रीज कर दिए थे तो कोर्ट ने अंतत: मुद्दे की जांच करने का निर्णय लिया और मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
वकील नेहा नागपाल ने दायर की है याचिका
सुप्रीम कोर्ट की वकील नेहा नागपाल ने इस संबंध में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को बिना शादी किए बच्चा पैदा करने की इजाजत दी जानी चाहिए। याचिकाकर्ता अपने निजी जीवन में राज्य के हस्तक्षेप के बिना सरोगेसी का लाभ उठाने और अपनी शर्तों पर मातृत्व का अनुभव करने के अपने अधिकार को सुरक्षित करना चाहती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता को विवाह के बिना भी प्रजनन और मातृत्व का अधिकार है।
प्रतिबंध अधिकारों का उल्लंघन करता है।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ किरपाल ने कहा कि अविवाहित महिलाओं के लिए सरोगेसी पर प्रतिबंध याचिकाकर्ता के प्रजनन के अधिकार, परिवार शुरू करने के अधिकार, सार्थक पारिवारिक जीवन के अधिकार और निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। सरोगेट मदर को किसी भी मौद्रिक मुआवजे/प्रतिफल पर रोक प्रभावी रूप से याचिकाकर्ता के लिए सरोगेट मदर ढूंढना असंभव बना देती है।
उन्होंने कहा, कानून वास्तव में सरोगेसी को रेगुलेट करने की मांग करने के बजाय परोपकारी सरोगेसी की आवश्यकता को लागू करके इस पर प्रतिबंध लगाता है। अधिवक्ता सौरभ किरपाल ने दलील दी कि मौजूदा सरोगेसी नियमों में बड़े पैमाने पर खामियां हैं। उन्होंने कहा कि अकेली महिलाओं पर सेरोगेसी का विकल्प चुनने पर प्रतिबंध अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (जीवन का अधिकार) से प्रभावित है।
मुद्दा याचिकाओं के एक बड़े समूह में लंबित : एएसजी
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि अविवाहित महिलाओं द्वारा सरोगेसी का लाभ उठाने का मुद्दा वर्तमान में शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाओं के एक बड़े समूह में लंबित है। उन्होंने कहा कि अकेली, अविवाहित महिलाओं को अभी भी सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) के माध्यम से बच्चे पैदा करने की अनुमति है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने जवाब दिया कि हमारे सामने एक दुविधा है। अविवाहित महिलाओं के लिए भारत में कितनी एआरटी प्रक्रियाएं हुई हैं? हमें भारतीय समाज की नब्ज भी देखनी होगी।
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