- गेंहू और धान की खेती से खत्म हो चुका है पानी:-वाइस चांसलर
Aaj Samaj (आज समाज),Suresh Kumar Malhotra,करनाल, 21 फरवरी ,इशिका ठाकुर: किसान आंदोलन के चलते एम एस पी का मुद्दा काफ़ी गरमाया हुआ है। सरकार किसानों को कुछ फसलों पर एम एस पी देने को तैयार है। पर किसान 23 फसलों पर एम एस पी चाहते है। इसी के साथ बागवानी एक्सपर्ट ने बताया कि सरकार जिन फसलों पर एम एस पी देना चहती है। उससे क्या फायदा होगा। फसलों पर एमएसपी के मुद्दे पर महाराणा प्रताप बागवानी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एसके मल्होत्रा ने कहा गेंहू और धान के खेती से खत्म हो रहा है पानी । पंजाब , हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संसाधनों का अत्यधिक दोहन हुआ है जिस कारण 91 जिले डार्क जोन में जा चुके है । सरकार प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए फसल विविधिकरण को बढ़ावा देना चाहती है ।
विश्वविख्यात वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने बृहस्पितवार को महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति का पदभार ग्रहण कर लिया। एमएचयू के कुलपति का पदभार ग्रहण करने पर एमएचयू कुलसचिव डॉ अजय सिंह, डिप्टी रजिस्ट्रार संजीव जोशी, अनुसंधान निदेशक प्रो रमेश कुमार गोयल, प्रो रंजन गुप्ता,ईओ सुरेश सैनी, वित्त नियंत्रक ओमबीर राणा सहित अधिकारियों, वैज्ञानिकों ने कुलपति का स्वागत किया।
नव नियुक्त कुलपति माननीय डॉ सुरेश कुमार मल्होत्रा ने एमएचयू के अधिकारियों की मीटिंग में उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इसके बाद माननीय कुलपति ने एमएचयू के मेन कैंपस के साथ लेब का निरीक्षण किया। अधिकारियों के साथ फील्ड विजिट कर यूनिवर्सिटी को बढ़ावा देने के लिए आगामी आदेश दिए। माननीय कुलपति डॉ एसके मल्होत्रा ने बताया कि बागवानी को बढ़ावा देने की जरुरत है, हमारे किसान भाईयों को ज्यादा से ज्यादा लाभ कैसे हो, ये सोचने की जरुरत है। इसी को ध्यान रखते हुए हरियाणा सरकार ने बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेष तौर पर महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय को स्थापित किया है। इसका मुख्य उदेश्य है कि शिक्षा, अनुसंधान व प्रचार प्रसार के क्षेत्र में किस प्रकार उत्कृष्ट काम कर सकते है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का प्रमुख उदेश्य है कि शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे से अच्छा हयुमन रिसोर्स तैयार करें, बागवानी के विशेषज्ञ एमएचयू से तैयार होकर न केवल राज्य के बागवानी का उत्पादन बढ़ाने में योगदान करेंगे साथ साथ गुणवत्ता बढ़ाने में योगदान करेंगे। विश्वविद्यालय का दूसरा क्षेत्र अनुसंधान का है, बहुत सारे ऐसे विषय होते है, जो हमारे रिसर्च गेप के रूप में होते है। इन क्षेत्रों में रिसर्च करने की जरुरत है। जिससे किसानों को फायदा मिले, जैसे किस तरह की फसलों का चुनाव करें, किस तरह का प्रोडक्शन सिस्टम होना चाहिए ओर कहां पर गेप है। उस गेप को फिलिप करने के लिए रिसर्च प्रोजेक्ट बनते है ओर उन पर अनुसंधान कार्य होता है।
एसके मल्होत्रा ने कहा सरकार 23 खाद्य फसलों का एमएसपी निर्धारण करती है । ये एमएसपी A2 + FL फार्मूले से निर्धारित किया जाता है जो कि फसल का बेस प्राइज माना जाता है । सरकार ने फसल विविधिकरण के लिए दलहनी फसलों, मक्का और कपास की खरीद एमएसपी पर करने की बात कही है । गेंहू और चावल उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर लेकिन दलहन लगभग 10 लाख टन दूसरे देशों से मंगवाना पड़ता है । किसान इन फसलों की खेती करेगा तो देश को भी लाभ होगा और किसान को भी ।
गेंहू और धान के फसलों की खरीद होती लेकिन अब सरकार ने मक्का, दलहन और कपास की खरीद को लेकर भी प्रतिबद्धता जाहिर की है । किसानों को अपनी आमदन बढ़ाने और पानी को बचाने के लिए फसल विविधिकरण अपनाना होगा । जिससे किसान लम्बे समय तक खेती कर सकते है और पानी संरक्षित कर सकते है।