Supreme Court ने नागरिकता कानून की धारा 6ए को बरकरार रखा

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Supreme Court ने नागरिकता कानून की धारा 6ए को बरकरार रखा
Supreme Court ने नागरिकता कानून की धारा 6ए को बरकरार रखा

Supreme Court News, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता कानून की धारा 6ए के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए इसकी वैधता को बरकरार रखा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने आज यह फैसला सुनाया। सीजेआई समेत चार जजों ने फैसले पर सहमति जताई, वहीं जस्टिस जेबी पारदीवाला ने इससे असहमत थे।

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हमारा सिद्धांत जियो और जीने दो : जस्टिस सूर्यकांत

जस्टिस सूर्यकांत ने मामले में सुनवाई के दौरान कहा, हमने नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को कायम रखा है और हम किसी को भी अपने पड़ोसी चुनने की इजाजत नहीं दे सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, यह उनके भाईचारे के सिद्धांत के खिलाफ है। उन्होंने बताया, हमारा सिद्धांत है जियो और जीने दो है।

असम समझौते में जोड़ी गई थी धारा 6ए

बता दें कि नागरिकता कानून की धारा 6ए को 1985 में असम समझौते में जोड़ा गया था। इस कानून के अंतर्गत जो भी बांग्लादेशी अप्रवासी एक जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आए हैं वे भारतीय नागरिक के रूप में अपने को रजिस्टर करवा सकते हैं। हालांकि 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी इंडियन सिटीजनशिप के योग्य नहीं हैं।

असम समझौता बढ़ते प्रवास का राजनीतिक सॉल्यूशन

सीजेआई ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि असम समझौता बढ़ते प्रवास के मसले का राजनीतिक सॉल्यूशन था। उन्होंने कहा, इसमें जोड़ी गई धारा 6ए कानूनी हल था। सीजेआई ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी, पर ऐसा नहीं किया गया। इसकी वजह यह है क्योंकि अन्य क्षेत्रों में असम जैसे हालात नहीं थे। असम में जो भी लोग बाहर से आए उनकी संस्कृति पर असम का प्रभाव था।

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