Supreme Court: हाई कोर्ट की शर्त ऐसी, रोजी-रोटी पर बन आई, सुप्रीम कोर्ट ने किया रहम

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Supreme Court हाई कोर्ट की शर्त ऐसी, रोजी-रोटी पर बन आई, सुप्रीम कोर्ट ने किया रहम
Supreme Court हाई कोर्ट की शर्त ऐसी, रोजी-रोटी पर बन आई, सुप्रीम कोर्ट ने किया रहम

Madras High Court, (आज समाज), नई दिल्ली: एक व्यक्ति को हाई कोर्ट ने जमानत के लिए ऐसी शर्त रखी कि उससे उसकी रोजी-रोजी छिन रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट उस पर रहम कर गया। दरसअल, मामला तमिलनाडु का है। यहां एक यूट्यूब चैनल पर अपमानजनक टिप्पणी को लेकर इंटरव्यू अपलोड किया गया था, जिसके खिलाफ मामला मद्रास हाई कोर्ट तक पहुंच गया था। हाई कोर्ट ने आरोपी यूट्यूबर फेलिक्स जेराल्ड को जमानत के लिए ऐसी शर्त लगा दी, कि यदि वह उसे पूरा करता तो उसकी रोजी-रोटी छिन रही थी।

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यूट्यूब चैनल को बंद करने के आदेश

दरसअल, मद्रास हाई कोर्ट ने फेलिक्स जेराल्ड को जमानत के लिए उसके यूट्यूब चैनल को बंद करने की शर्त रखी थी। उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ फेलिक्स जेराल्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने शुक्रवार यानी आज उसे राहत दे दी। और अब जेराल्ड को अपना यूट्यूब चैनल ‘रेडपिक्स 24़7’ बंद नहीं करना पड़ेगा।

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‘रेडपिक्स 24़7’ पर अपलोड किया गया था इंटरव्यू

बता दें कि ‘रेडपिक्स 24़7’ पर ‘सवुक्कू’ शंकर का इंटरव्यू अपलोड किया गया था। तमिलनाडु पुलिस ने तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम के तहत अलग-अलग धाराओं में अपमानजनक टिप्पणी को लेकर एफआईआर दर्ज की  थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान आज कहा, इस तरह की जमानत की शर्त ऐसे मामले में गैर-जरूरी है।

सीजेआई ने किया यह सवाल

हाई कोर्ट ने इसी 6 सितंबर को मामले पर सुनवाई करते हुए अंतरिम राहत देते समय न्यायपालिका व महिला पुलिस अफसरों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों को लेकर सवाल उठाए थे। आज सीजेआई ने पूछा, आप न्यायपालिका और सभी महिला आईपीएस अफसरों के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगा रहे हैं, लेकिन आप ऐसे इंटरव्यू आयोजित ही क्यों करते हैं।

20 साल से चल रहा चैनल, 2 मिलियन सब्सक्राइबर : वकील

युवक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में माना कि इंटरव्यू होस्ट नहीं करना चािहए। पर उन्होंने यह भी कहा कि यूट्यूब चैनल बंद करने का निर्देश बहुत कठोर था। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का चैनल 2004 से चल रहा है और अब तक उसके 2 मिलियन से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं। युवक के वकील ने इस दौरान मोहम्मद जुबैर मामले में शीर्ष कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें याचिकाकर्ता को ट्वीट न करने की जमानत शर्त लगाने से मना किया गया था।

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