नई दिल्ली। टाटा समूह को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। टाटा संस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, इस सुनवाई के साथ ही कोर्ट ने एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी है जिससे साइरस पालोनजी मिस्त्री को झटका लगा है। बता दें कि टाटा संस ने याचिका में साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने के फैसले को चुनौती दी थी। गौरतलब है कि पिछले महीने एनसीएलटी ने मिस्त्री को टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर बहाल करने का आदेश दिया था जिसके खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। एनसीएलएटी ने साथ ही इस पद पर एन. चंद्रशेखरन की नियुक्ति अवैध करार दिया था। एनसीएलएटी के इस फैसले के खिलाफ टाटा संस और रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर एनसीएलटी के आदेश को रद्द करने की अपील की थी। टाटा संस के पूर्व प्रमुख रतन टाटा ने आरोप लगाया था कि टाटा संस के चेयरमैन बनने के बाद भी हितों के टकराव की वजह से मिस्त्री अपने को परिवार के व्यवसाय से अलग नहीं करना चाहते थे। टाटा संस द्वारा एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती देने के एक दिन बाद टाटा संस के पूर्व प्रमुख सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
रतन टाटा ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा कि टाटा संस के चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति के लिए मिस्त्री के लिए उनके पारिवारिक व्यवसाय शापूरजी पालोनजी ग्रुप से अलग होना पूर्व शर्त थी। याचिका में कहा गया, विभिन्न मोर्चों पर साइरस मिस्त्री, टाटा संस के चेयरमैन होने के बाद भी अपने पारिवारिक व्यवसाय से अलग होने को लेकर अनिच्छुक दिख रहे थे, जो उनके टाटा संस के चेयरमैन के रूप में नियुक्ति की एक पूर्व शर्त थी। याचिका में कहा गया है कि टाटा ट्रस्ट ने दृढ़ता से महसूस किया कि मिस्त्री भविष्य में टाटा संस को मजबूत नेतृत्व प्रदान नहीं कर सकते।