Supreme Court: ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच के आदेश पर रोक

0
22
Supreme Court: ईशा फाउंडेशन के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस जांच के आदेश पर रोक
Supreme Court: ईशा फाउंडेशन के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस जांच के आदेश पर रोक

Isha Foundation, (आज समाज), नई दिल्ली: विवादों में चल रहे आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव की अगुवाई वाले ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष कोर्ट ने आज फाउंडेशन के खिलाफ तमिलनाडु पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में स्थानीय पुलिस अभी कोई एक्शन न ले। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को हाईकोर्ट द्वारा मांगी गई स्टेटस रिपोर्ट भी उसके पास जमा करवाने का निर्देश दिया है।

मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती 

बता दें कि ईशा फाउंडेशन ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने तमिलनाडु की कोयंबटूर पुलिस को ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी मामलों का विवरण एकत्रित करके अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने इस आदेश पर फिलहाल रोक लगाकर मामले को अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। अगली सुनवाई 18 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

बेटियों को बंधक बनाकर रखने के आरोप

दरअसल, रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने ईशा फाउंडेशन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। आरोप था कि आश्रम में उनकी बेटियों गीता और लता को बंधक बनाकर रखा गया है। हाईकोर्ट ने इसी सप्ताह 30 सितंबर को अपने आदेश में कहा था कि तमिलनाडु पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक केस की जांच करके उसे रिपोर्ट सौंपे। इसके अगले दिन एक अकटूबर को लगभग 150 पुलिसकर्मी जांच के मकसद से आश्रम पहुंच गए थे।

इच्छा से आश्रम में रह रही लड़कियां : फाउंडेशन

ईशा फाउंडेशन ने शीर्ष अदालत को बताया कि दोनों लड़कियां अपनी इच्छा से आश्रम में रह रही हैं। उन्होंने बताया कि वे 2009 में आश्रम आई थीं और उस समय वे 24 और 27 साल की थीं। फाउंडेशन की ओर से यह भी बताया गया है कि आश्रम में मौजूद पुलिस अब लौट गई है।

हम अपनी मर्जी रह रहीं : लड़कियां

बता दें कि फैसला सुनाने से पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने दो महिला संन्यासियों से अपने चेंबर में भी बात की। महिलाओं ने बताया कि वे दोनों बहनें हैं और अपनी मर्जी से ईशा योग फाउंडेशन में रह रही हैं और उनके पिता बीते 8 साल से उन्हें परेशान कर रहे हैं। सीजेआई ने यह भी कहा, पुलिस अथवा सेना को ऐसी जगह जाने की अनुमति नहीं दे सकते।

यह भी पढ़ें : Supreme Court: जेल में निचली जाति के कैदियों से सफाई का काम कराना अनुचित