- नागरिकों को छूट व अधिकार देता है जन प्रतिनिधित्व कानून
आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली, (Supreme Court PIL): सुप्रीम कोर्ट ने दो निर्वाचन क्षेत्रों से एक साथ चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का आदेश पारित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज की कि जन प्रतिनिधित्व कानून भारतीय नागरिकों को इसकी छूट व अधिकार देता है। याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि 1996 तक एक व्यक्ति कई सीटों पर चुनाव लड़ सकता था, लेकिन अब केवल दो पर ही एक व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है।
कई देशों मे केवल एक सीट से ही चुनाव लड़ने का प्रावधान
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा, कई देशों मे केवल एक सीट से ही चुनाव लड़ने का प्रावधान है। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने कहा, यह इसलिए गलत है, क्योंकि दो जगह से जीत के बाद जिस एक सीट को छोड़ा जाता है, वहां दोबारा चुनाव कराना होता है।
यह अनुच्छेद 19 का उल्लंघन
सभी खर्चों के साथ-साथ वोटर भी दोबारा पोलिंग बूथ तक जाते हैं, इसलिए यह अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है। गोपाल शंकरनारायण से कहा कि एक राष्ट्रीय पार्टी का नेता भी अपनी अखिल भारतीय छवि दिखाना चाहता है और वह यह दिखाना चाहता है कि मैं पश्चिम, पूर्व, उत्तर और दक्षिण भारत से खड़ा हो सकता हूं। पीठ ने इस पर कहा कि और कई ऐतिहासिक शख्सियतें हैं, जिनकी उस तरह की लोकप्रियता थी।
अनुमति देना विधायी नीति का मामला
शीर्ष अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि एक उम्मीदवार को एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ने की अनुमति देना विधायी नीति का मामला है। पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, अगर कानून में आप बदलाव चाहते हैं तो संसद के पास जाएं। इसका अधिकार संसद के पास ही है।
अगर संसद संशोधन करना चाहती है, तो वह कर सकती है, और अदालत ऐसा नहीं करेगी। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यदि उम्मीदवार दो निर्वाचन क्षेत्रों से खड़े हैं तो उन्हें अधिक जमा करने के लिए कहा जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि उम्मीदवार कई कारणों से अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ सकते हैं और यह लोकतंत्र को आगे बढ़ाएगा या नहीं, सह संसद पर निर्भर है।
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