Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court Order, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के बाद तीन महीने की बच्ची की हत्या के आरोपी को ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई मौत की सजा रद कर दी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी को जल्दबाजी में दोषी करार दिया गया और उसे अपने बचाव का पर्याप्त मौका भी नहीं दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा रद करने के बाद मामले को दोबारा ट्रायल कोर्ट को भेजा जा रहा है, ताकि आरोपी को अपने बचाव का प्रॉपर मौका मिल सके।
- आरोपी को बचाव के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया : सुप्रीम कोर्ट
सीनियर एडवोकेट भी मुहैया करवाया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि ट्रायल कोर्ट में दोबारा सुनवाई के दौरान आरोपी को अपना पक्ष रखने के लिए एक सीनियर एडवोकेट भी मुहैया करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायालय के सामने जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, उससे लगता नहीं कि आरोपी के वकील को उसके बचाव के लिए पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध कराए भी गए थे या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने आरोपी को कुछ मेडिकल रिपोर्ट्स को चुनौती देने की इजाजत नहीं दी और यह भी गलत है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को इस तरीके से ट्रीट किया जैसे उसके पास अपने बचाव के लिए कोई जादुई छड़ी हो।
20 अप्रैल 2018 की वारदात, 12 मई को सजा का ऐलान
बच्ची के साथ 20 अप्रैल 2018 को दुष्कर्म किया गया था और उसी दिन उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने मामले में हफ्ते भर में ही चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी। इसके बाद 27 अप्रैल 2018 को ट्रायल शुरू हुआ और 12 मई को (महज 15 दिन में) निचली अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुना दी। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। इसके बाद फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान संज्ञान में आया कि वारदात 20 अप्रैल 2018 को हुई थी और 15 दिन बाद ही 12 मई को आरोपी को सजा सुना दी गई।
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