Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court On Pollution, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर तीखी टिप्पणी की है। मंगलवार को मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एयर क्वालिटी मैनेजमेंट अथॉरिटी ने एक हलफनामा देकर तीन साल और वर्तमान हालात पर दी रिपोर्ट में कहा कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं, लेकिन कोर्ट, अथॉरिटी की दलील से संतुष्ट नहीं हुआ। जजों ने कहा, वायु प्रदूषण की समस्या हर साल हमारे सामने आती है लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलता है।
शीर्ष कोर्ट ने पांच राज्यों से मांगा हलफनामा
वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। उन्होंने कहा, सब कुछ केवल कागजों में हो रहा है, जमीनी हकीकत कुछ और है। बता दें कि मंगलवार को करीब एक बजे राजधानी के कई शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 400 के पार दर्ज किया गया। सोनिया विहार में एक्यूआई 475 मापा गया, जो शहर में सबसे अधिक है। शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
पराली जलाने की घटना बढ़ी, लेकिन यह पिछले साल की तुलना में 40% कम
एयर क्वालिटी मैनेजमेंट अथॉरिटी ने कहा है कि बीते दो दिन में पराली जलाने की घटना बढ़ी है लेकिन यह पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत कम है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रदूषण का मौजूदा हालात क्या है? एक्यूआई क्या है? इसपर कोर्ट को बताया गया कि आज भी एक्यूआई बेहद खराब स्तिथि में है। तब कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी कर कहा, सब कुछ केवल कागजों में हो रहा है, जमीनी हकीकत कुछ और है। कोर्ट ने कहा, इस समय दिल्ली में एक्यूआई अच्छा नहीं है। हम आने वाली पीढ़ी के लिए चिंतित है। पंजाब में बड़ी संख्या में पराली लगातार जलाई जा रही है। हरियाणा में सोमवार को जींद का एक्यूआई 416 रहा। इसके साथ जींद देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा।
दिवाली तक राहत के आसार नहीं
समूचे दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को अलसुबह से जहरीली धुंध की चादर छाई रही और चौतरफ धुआं दिख रहा था। अधिकारियों के अनुसार हवा की धीमी गति और बारिश की बेरुखी के चलते अक्टूबर का पूरा महीना दमघोंटू बना रहा और ऐसी स्थिति से राहत के आसार नहीं हैं। विशेषज्ञ के अनुसार प्रदूषण से फिलहाल दिवाली तक राहत के आसार नहीं हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2015 से 2023 के दौरान 2021 का अक्टूबर सबसे साफ रहा था। वहीं 2022 में यह उससे ज्यादा प्रदूषित और 2023 में और भी प्रदूषित दर्ज किया गया।
बढ़ते प्रदूषण का सेहत पर काफी नकारात्मक प्रभाव
प्रदूषित हवा की वजह से आंखों में जलन और सांस संबंधी दिक्कतें बढ़ गई हैं। गले में खर्राश, फेफड़ों की बीमारियों जैसी कई समस्याएं होती हैं। आंखों से पानी आना, लाल होना, सूजन आना या खुजली होना जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं। प्रदूषण के कारण आंखों में धूल-मिट्टी जमा हो सकती है, जिससे आंखों में जलन या खुजली होती है। इसलिए रोज आंखों को साफ पानी से धोएं हम जिन भी चीजों को छूते हैं, उन पर लगे कीटाणु और धूल-मिट्टी हमारे हाथों पर लगते हैं। हाथों को बिना साफ किए आंखों को छूने से इन्फेक्शन हो सकता है। इसलिए हाथ साबून से अच्छे से साफ करें और बाहर सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
आंखों को रगड़ने से बचें
आंखों को रगड़ने से हमेशा बचना चाहिए। ऐसा करने से आंखों में ड्राईनेस और लाल होने का खतरा रहता है। प्रदूषण के कारण आंखें ड्राई हो सकती हैं, इसलिए अपने डॉक्टर से सलाह लेकर आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी आंखों को नमी देते हैं और ड्राईनेस की समस्या से भी बचाते हैं। साथ ही यह इन्फेक्शन के खतरे को भी कम करते हैं। प्रदूषण से बचने के लिए जैसे बाहर निकलते समय मास्क या स्कार्फ का इस्तेमाल करते हैं ताकि आपके फेफड़े सुरक्षित रहें, वैसे ही बाहर निकलते समय अपनी आंखों को प्रदूषण से बचाने के लिए सनग्लासेस का इस्तेमाल करें। आंखों में कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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