Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court On Manipur Violence, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को राज्य में हुई हिंसा से प्रभावित लोगों को दी जा रही राहत, सुरक्षा व पुनर्वास पर नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान कहा, भले ही सुरक्षा व कानून राज्य का विषय है, लेकिन शीर्ष अदालत के नाते यह देखना हमारी जिम्मेदारी है कि राजनेता आंखें न मूंद लें। मणिपुर ट्राइबल फोरम और हिल एरिया कमेटी ने शीर्ष कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। सुप्रीम कोर्ट की छुट्टियां खत्म होने के बाद जुलाई में मामले में अगली सुनवाई होगी।
जानिए हाईकोर्ट के आदेश पर क्या बोले सीजेआई
मैतेई आदिवासियों को शेड्यूल ट्राइब (एसटी) सूची में शामिल किए जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर भी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, इस मामले पर हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई गई है और हम इस आदेश पर रोक नहीं ला रहे हैं, लेकिन जो लोग फैसले के खिलाफ हैं, वह हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में जा सकते हैं।
उच्च न्यायालय का फैसला तथ्यात्मक रूप से गलत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मणिपुर हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधरन का फैसला तथ्यात्मक रूप से पूरी तरह गलत है। जजों ने कहा, हमने जस्टिस मुरलीधरन को अपनी गलती सुधारने का समय दिया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब हमें इसके खिलाफ कड़ा रुख अपनाना होगा। यह साफ है कि हाईकोर्ट के जज को संवैधानिक पीठ के फैसलों को फॉलो करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो हम क्या कर सकते हैं, यह भी बहुत स्पष्ट है।
हिंसा में 71 मौतें, 1700 घर जलाए
गौरतलब है कि तीन मई को मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में कुकी समुदाय की ओर से रैली निकाले जाने के साथ ही 10 पहाड़ी जिलों में हिंसा शुरू हो गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसमें करीब 71 लोगों की मौत हो गई, जबकि 230 से अधिक घायल हो गए। करीब 1700 घरों को जला दिया गया।
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