आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली (Supreme Court On Election Commissioners Appointment): सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के लिए कालेजियम की मांग को लेकर आज अहम फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की समिति की सलाह पर राष्ट्रपति करेंगे।
कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग के लिए दायर की थी याचिकाएं
पीठ ने चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। अपने सर्वसम्मत फैसले में जजों ने कहा कि यह नियम तब तक बरकरार रहेगा जब तक इस मुद्दे पर संसद द्वारा कानून नहीं बना दिया जाता। उन्होंने कहा, यदि लोकसभा में विपक्ष का नेता नहीं है, तो सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए समिति में होगा।
चुनाव प्रक्रिया की स्पष्टता बनाए रखना जरूरी
जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की स्पष्टता कायम रखना जरूरी है, नहीं तो इसके अच्छे परिणाम नहीं होंगे। उन्होंने कहा, लोकतंत्र बहुत बारीकी से लोगों की ताकत से जुडा है और इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। जस्टिस जोसेफ ने कहा, हमें अपने दिमाग में एक ठोस व उदार लोकतंत्र का हॉलमार्क लेकर चलना होगा।
चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी
जस्टिस जोसेफ ने कहा, वोट की ताकत सुप्रीम है और इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं, इसलिए चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरुरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और कोर्ट के आदेशों के आधार पर निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।
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