Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court On Bail, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी को दी जमानत पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने हाल ही में आरोपी शख्स को जमानत प्रदान कर दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को तत्काल रद करते हुए ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इनमें आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं।
आरोपी पर विभिन्न प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज था
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने टाडा मामले में सुप्रीम कोर्ट के साल 1994 के फैसले पर गलत तरीके से भरोसा किया और यूएपीए मामले में उसके 2019 के एक फैसले को नजरअंदाज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि जांच के लिए यूएपीए के मामले में अधिकतम अवधि यानी 180 दिल तक तक विस्तार दिया जा सकता है। पेश मामले में आरोपी पर भारतीय दंड संहिता, यूएपीए और आर्म्स एक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच पूरी करने में देरी के आधार पर उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने डिफॉल्ट जमानत दी थी।
हथियारों के प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान जाने की फ़िराक में था
जांच एजेंसी ने दावा किया था कि गिरफ्तार शख्स हथियारों के प्रशिक्षण के लिए सीमा पार कर पाकिस्तान जाने की योजना बना रहा था। हालांकि कानून में तय समय पर एजेंसी अपनी जांच पूरी नहीं कर सकी, लिहाजा आरोपी को डिफॉल्ट जमानत प्रदान कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 2019 के महाराष्ट्र राज्य बनाम सुरेंद्र पुंडलिक गाडलिंग और अन्य के मामले में इस अदालत द्वारा धारा 43 डी (2) (बी) के प्रावधानों पर विचार किया गया था। उक्त मामले में, एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार किया गया था।
तुरंत हिरासत में लेने के आदेश
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा, एक और पहलू पर विचार किया जाना चाहिए वह है अपराध की प्रकृति, जिसमें न केवल पूरे भारत पर प्रभाव पड़ता है बल्कि अन्य दुश्मन देशों पर भी इसका असर पड़ता है। लिहाजा इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दिया।
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