Supreme Court On Bail Orders: असामान्य मामलों व असाधारण परिस्थितियों में ही जमानत पर लगे स्टे

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Supreme Court On Bail Orders असामान्य मामलों व असाधारण परिस्थितियों में ही जमानत पर लगे स्टे
Supreme Court On Bail Orders : असामान्य मामलों व असाधारण परिस्थितियों में ही जमानत पर लगे स्टे

Stay On Bail Only In Unusual Cases, (आज समाज), नई दिल्ली: सु्प्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल चुनिंदा मामलों में ही जमानत पर रोक लगाई जानी चाहिए। जस्टिस अभय सिंह ओका और जस्टिस आगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने आज एक मामले की सुनवाई करते हुए यह बात कही। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी परविंदर सिंह खुराना की याचिका पर पीठ सुनवाई कर रही थी। खुराना पर बहुत बड़ी रकम की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। उन्होंने कहा, अदालत के पास जमानत के आदेश पर स्टे लगाने का अधिकार होता है, पर यह स्टे केवल असामान्य मामलों व असाधारण परिस्थितियों में ही लगाना जाना चाहिए।

हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आर्डर पर लगाया था स्टे

बता दें कि खुराना को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 2023 में अरेस्ट किया था। ट्रायल कोर्ट से जून 2023 में उन्हें जमानत मिल गई थी, जिसके खिलाफ ईडी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के जमानत आर्डर पर स्टे लगा दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट के खिलाफ खुराना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते उनकी स्वतंत्रता पर चिंता जताई। कहा कि एक साल तक एक शख्स बिना किसी कारण के जेल में सड़ रहा है।

11 जुलाई को हुई थी पिछली सुनवाई

मामले की पिछली सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी, जिस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के वकील से पूछा था कि ट्रायल कोर्ट ने 2023 में बेल आॅर्डर दे दिया था तो आप इसका विरोध क्यों कर रहे हैं। इस पर ईडी के वकील ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर फैसला नहीं सुनाया था। इसके साथ ही मामले से कई जजों ने अपने आप को भी अलग कर लिया था।

रिहा होने पर देश से फरार होने की संभावना

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जमानत पर रिहा होने पर आरोपी के देश से फरार होने की संभावना है। उन्होंने कहा था कि एक बार जब आरोपी बाहर हो जाता है, तो जमानत की शर्तों का कोई मतलब नहीं रह जाता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जमानत पर रोक सिर्फ बहुत ही दुर्लभ मामलों में लगाई जा सकती है। यदि आरोपी पर देशद्रोह, आतंकवाद या एनआईए का मामला हो तो बेल पर रोक लगाई जा सकती है।