नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले आज सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने आज एतिहासिक फैसला दिया। पूरे देश में इस मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया गया है। साथ ही यूपी, दिल्ली, बिहार, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। विशेष तौर पर कि सोशल मीडिया पर नजर रखी जा रही ताकि किसी तरह की अफवाह नहीं फैलाई जाए। फैसले के बाद शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाए जाने के मद्देनजर देश के लोगों से शांति बना रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर सौहार्द बनाए रखना है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने इस विवाद पर फैसला किसी आस्था या विश्वास के आधार पर नहीं बल्कि कानूनी तौर पर दिया है। निर्मोही अखाड़े के दावे का खारिज किया गया। विवादित जमीन राम मंदिर न्यास को दी गई। कोर्ट में मुस्लिम पक्ष एकाधिकार साबित नहीं कर पाया। मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने का फैसला दिया।
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कोर्ट ने कहा कि अंग्रेजों के समय तक इस जमीन पर मुस्लिम पक्षकार साबित नहीं कर पाए कि वहां नमाज होती थी। कोर्ट ने राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया। मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का निर्णय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर योजना बनाकर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया।
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मुस्लिम पक्ष के वकील जिलानी ने कहा कि हम फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से मुस्लिम पक्षकारों की कब्जेवाली जमीन रामलला विराजमान को दी गई है उससे हम संतुष्ट नहीं है। हम पुनिर्विचार याचिका डाल सकते हैं। जिलानी ने कहा कि शरियत के हिसाब से मस्जिद किसी को दें या बेंच नहीं सकते हैं। लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। अयोध्या मामले का फैसला विरोधाभासी है।