आज समाज डिजिटल, नई दिल्ली,(Supreme Court News): विधायी संस्थानों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ दोष सिद्ध होने पर उन्हें अपने आप ही अयोग्य ठहराने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में जनप्रतिनिधियों के अधिनियम की धारा 8(3) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए मांग की गई है कि निर्वाचित प्रतिनिधियों के दोषी पाए जाने के बाद उन्हें स्वत: अयोग्य घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी की गई है संसद सदस्यता
बता दें कि गुजरात के सूरत की एक अदालत ने कांग्रेस नेता व केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में दोषी ठहराने के बाद 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी और उसके बाद शुक्रवार को राहुल की संसद सदस्यता रद कर दी गई। राहुल पर 2019 में कर्नाटक में एक चुनावी रैली में विवादित टिप्पणी करने का आरोप था। राहुल ने कहा था कि सभी मोदी चोर क्यों होते हैं। इसी भाषण पर उनके खिलाफ गुजरात भाजपा के नेता पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दायर किया था
जानिए क्या कानून में प्रावधान
जन प्रतिनिधि कानून, 1951 में प्रावधान है कि अगर किसी जन प्रतिनिधि को किसी मामले में दो या इससे अधिक वर्ष की सजा होगी तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाएगी। इसके अलावा सजा पूरी होने के छह वर्ष तक वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा। किसी मौजूदा सदस्य के मामले में तीन महीने की छूट दी गई है।
याचिका दायर करने के लिए एक महीने का समय
उक्त नियम के तहत राहुल की सदस्यता चली गई। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि सूरत की जिस अदालत ने राहुल को सजा सुनाई है, उसने राहुल को फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में याचिका दायर करने के लिए एक महीने का समय दिया है। तब तक राहुल की सजा पर रोक है, मतलब वह इस दौरान जेल जाने से बचे रहेंगे।
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