Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court News, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन (डीईआरसी) के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस उमेश कुमार का शपथ ग्रहण एक हफ्ते के लिए टाल दिया। इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को नोटिस जारी किया है। बता दें कि दिल्ली सरकार ने उमेश कुमार की डीईआरसी चेयरमैन के तौर पर नियुक्ति को चुनौती दी थी। मामले की अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी और तब तक शपथ ग्रहण नहीं किया जा सकेगा।
- दिल्ली सरकार ने नियुक्ति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में की थी अपील
एलजी ने अरविंद केजरीवाल को लिखा पत्र
वीके सक्सेना ने शपथ ग्रहण के संबंध में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा, मंगलवार को डीईआरसी चेयरमैन का शपथ ग्रहण नहीं हो पाया। उन्होंने कहा, दिल्ली की ऊर्जा मंत्री आतिशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शपथ ग्रहण कराएं या फिर मुख्यमंत्री केजरीवाल या उनका कोई मंत्री ये औपचारिकताएं पूरी करे, नहीं तो मुख्य सचिव को ये फॉर्मेलिटीज पूरी करने के लिए कहा जा सकता है। जस्टिस उमेश कुमार को 21 जून को डीईआरसी का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। सोमवार को उनका शपथ ग्रहण समारोह होना था, पर आतिशी के अचानक बीमार पड़ने के बाद शपथ ग्रहण टाल दिया गया था।
एलजी ने दिल्ली सरकार में नियुक्त करीब 400 प्राइवेट कर्मी हटाए
दूसरी तरफ एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों में नियुक्त लगभग 400 प्राइवेट कर्मचारियों को हटा दिया है जिसका आप सरकार ने विरोध किया और सीएम केजरीवाल ने कहा, वे इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे। एलजी दिल्ली को तबाह करने पर आमादा हैं।
याचिका दायर करने के बजाय पढ़ाई पर फोकस करें छात्र
संविधान में लिंग-तटस्थ शब्दों का उपयोग नहीं किए गए प्रावधानों को रद करने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिस पर मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने छात्रों को जनहित याचिका दायर करने के बजाय अपनी पढ़ाई पर फोकस करने की सलाह दी। शीर्ष अदालत कानून के छात्र हर्ष गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जजों ने छात्र से कहा, आप ऐसी याचिकाएं दायर करने के बजाय लॉ स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ते? आप चाहते हैं कि हम संविधान में प्रावधानों को खत्म कर दें?
जातियों के दोबारा वर्गीकरण की मांग वाली याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत में जातियों के दोबारा वर्गीकरण की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए उसपर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस तरह की जनहित याचिकाएं बंद होनी चाहिए।
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