Aaj Samaj (आज समाज), Supreme Court News, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उम्रदराज एक बुजुर्ग महिला की भावनाओं का सम्मान करते हुए उसके बुजुर्ग पति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी है। पत्नी की उम्र 82 साल है व पति 89 वर्ष का है। पति भारतीय वायुसेना में अधिकारी रहा था। पति द्वारा मांगे गए तलाक की याचिका पर दो दशकों से कानूनी लड़ाई चल रही थी।
- चंडीगढ़ का रहने वाला है दंपति
- 1963 में हुई थी दोनों की शादी
महिला ने पति संग मद्रास जाने से किया था इनकार
जानकारी के अनुसार बुजुर्ग महिला व उसका बुजुर्ग पति चंडीगढ़ के रहने वाले हैं और 60 साल से वे शादीशुदा हैं। महिला बतौर शिक्षिका रिटायर है। 1963 में दोनों की शादी हुई थी। इसके बाद जनवरी-1984 में पति की तत्कालीन मद्रास में ट्रांसफर हो गई। तब तक दोनों का वैवाहिक जीवन सामान्य था। उनके रिश्ते में कड़वाहट तब पैदा हुई जब पत्नी ने अपने पति के साथ मद्रास जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला शुरू में अपने ससुरालवालों के साथ रही, लेकिन उसके बाद उसने अपने बेटे के साथ रहना पसंद किया।
काफी प्रयास के बावजूद नहीं हो सका विवाद का समाधान
दंपति के बीच सुलाह करने का काफी प्रयास किया गया लेकिन इसके बावजूद दोनों के बीच मतभेदों व विवाद का समाधान नहीं हो सका। इसके चलते पति ने अंतत: वर्ष 1996 में अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की याचिका दायर की। दोनों के बीच तलाक का विवाद ट्रायल कोर्ट से शुरू हुआ था। इसके बाद मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा और फिर यह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अदालत ने कहा कि किसी को इस तथ्य से अनजान नहीं होना चाहिए कि विवाह संस्था एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
मैं तलाकशुदा का कलंक लेकर नहीं मरना नहीं
23 साल चली इस कानूनी कार्यवाही का आखिरकार अंत हो गया। चूंकि पति क्रूरता के आरोप साबित करने में विफल रहा और और उसने पत्नी को छोड़ दिया था। उसने अदालत से तलाक की अनुमति देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 को लागू करने का आग्रह किया, क्योंकि शादी पूरी तरह से टूट गई थी, लेकिन पत्नी ने अदालत से आग्रह किया था कि उसकी याचिका को स्वीकार न किया जाए क्योंकि वह ‘तलाकशुदा होने का कलंक’ लेकर इस दुनिया से नहीं जाना चाहती थी।
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