• 2020 से लगभग 36,000 बच्चे लापता

Supreme Court On Newborn Baby Trafficking,(आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नवजात शिशु तस्करी मामले में सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि अगर अस्पताल से बच्चा चोरी हुआ तो तुरंत हॉस्पिटल का लाइसेंस रद कर दिया जाएगा। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने आज कहा कि देश के सभी हाई कोर्ट अपने राज्यों में शिशु तस्करी से जुड़े लंबित मामलों की रिपोर्ट मंगवाएं। सख्त कानूनों के बावजूद भारत में बाल तस्करी और जबरन बाल श्रम फल-फूल रहा है। केंद्र ने फरवरी में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि 2020 से लगभग 36,000 बच्चे लापता हैं।

यूपी गवर्नमेंट और इलाहाबाद हाई कोर्ट की आलोचना

शीर्ष कोर्ट ने ऐसे मामलों से निपटने के तरीके को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद हाई कोर्ट की कड़ी आलोचना की। साथ ही अदालत ने ऐसे अपराधों को रोकने के लिए राज्यों द्वारा पालन किए जाने वाले सख्त दिशा-निर्देश निर्धारित किए। कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें तस्करी करके लाए गए बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक दंपति को सौंप दिया गया था, जो बेटा चाहते थे। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आरोपियों को अग्रिम जमानत दे दी थी।

बाल तस्करी के मामले की प्रतिदिन हो सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने देश के उच्च न्यायालयों से यह भी कहा कि बाल तस्करी के मामले की प्रतिदिन सुनवाई हो और सभी मामले छह महीने के अंदर निपटाए जाएं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगर कोई नवजात शिशु तस्करी का शिकार होता है तो अस्पतालों के लाइसेंस तुरंत सस्पेंड कर दिए जाएं।

आरोपी ने 4 लाख रुपए में बेटा पा लिया

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों की जमानत रद करते हुए मामले को संभालने के तरीके को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट और यूपी सरकार दोनों की खिंचाई की। आरोपी बेटे की चाहत में था और फिर उसने 4 लाख रुपए में बेटा पा लिया। पीठ ने कहा, अगर आपको बेटा चाहिए तो आप तस्करी करके लाए गए बच्चे को नहीं खरीद सकते। उसे पता था कि बच्चा चोरी हो गया है।

हाई कोर्ट ने जमानत याचिकाओं पर बेरुखी से काम किया

शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट ने जमानत याचिकाओं पर बेरुखी से काम किया, जिसके कारण कई आरोपी फरार हो गए। ये आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। जमानत देते समय हाई कोर्ट से कम से कम यह तो अपेक्षित था कि वह हर हफ्ते पुलिस स्टेशन में उपस्थिति दर्ज कराने की शर्त लगाए। अदालत ने कहा, पुलिस सभी आरोपियों का पता नहीं लगा पाई। सरकार की खिंचाई करते हुए जजों ने कहा, हम पूरी तरह से निराश हैं। कोई अपील क्यों नहीं की गई? कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।

सबसे पहला कदम लाइसेंस कैंसिल करना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अगर किसी अस्पताल से कोई नवजात शिशु तस्करी के दायरे में आता है तो सबसे पहला कदम ऐसे अस्पतालों का लाइसेंस निलंबित करना होना चाहिए। अगर कोई महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने आती है और बच्चा चोरी हो जाता है तो सबसे पहला कदम लाइसेंस निलंबित करना है। पीठ ने चेतावनी दी कि किसी भी तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा और इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

ये भी पढ़ें : Supreme Court:राष्ट्रपति को राज्यपाल के भेजे बिलों पर तीन महीने में लेना होगा फैसला