सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट पर किए अपने ट्वीट को लेकर अवमानना केस में मांफी नहीं मांगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच की ओर से उन्हेंतीस मिनट का समय दिया गया लेकिन फिर भी उन्होंने मांफी मांगने से इनकार कर दिया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट मेंभूषण मामले में सुनवाई घंटों चली। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि प्रशांत भूषण के बयानों और उनके स्पष्टीकरण को पढ़ना दुखदायक है। उन्होंने यह भी कहा कि वह 30 साल के अनुभवी वरिष्ठ वकील हैं। उन्हें इस तरह से व्यवहार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालत के अधिकारी और राजनीतिज्ञ में फर्क होना चाहिए। मैंने वकीलों को पेंडिंग केसों में प्रेस में जाने को लेकर फटकार भी लगाई है। प्रशांत भूषण जैसे वकीलों का ट्वीट लोगों को प्रभावित करता है उनके ट्वीट में वजर होना चाहिए। प्रशांत भूषण के वकील से बेंच ने पूछा कि उनके मुवक्कील के लिए क्या सजा होनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई सजा नहीं होनी चाहिए। प्रशांत भूषण केवकील से जब अदालत ने उनके विचार मांगेतो उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण को दोषी करार देने के फैसले को वापस लिया जाना चाहिए साथ ही उन्हें कोईसजा नहींदेनी चाहिए। बता दें कि जब जस्टिस अरुण मिश्रा ने प्रशांत भूषण के बयान पर विचार जानने के लिए कहा तो अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने माफी मांगी जिस पर अदालत ने भूषण को बयान एक और मौका दिया। उन्हें तीस मिनट का समय विचार करने के लिए दिया लेकिन भूषण ने मांफी मांगने से इनकार कर दिया।