आज समाज डिजिटल, जालंधर:
सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल मामले में पंजाब और हरियाणा सरकार को सहयोग करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पानी एक प्राकृतिक संसाधन है और इसे सांझा करना सीखना चाहिए। कोर्ट का कहना है कि सतलुज यमुना लिंक नहर का निर्माण पिछले दो दशकों से लटका है।
वार्ता में पंजाब को होना चाहिए शामिल
इस मामले में 5 सितंबर, 2022 को जल शक्ति मंत्रालय के सचिव का एक पत्र अटॉर्नी जनरल ने अदालत के समक्ष पेश किया है। इस पत्र में 28 जुलाई, 2020 को विभिन्न राज्य धारकों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने का निर्देश दिया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि इस बैठक के जो परिणाम सामने आते हैं. उसके बारे में उच्चतम न्यायालय को सूचित किया जाए। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि काफी प्रयासों के बाद भी पंजाब वार्ता में शामिल नहीं हुआ है।
एसवाईएल मामले में होनी चाहिए प्रगति
दूसरी ओर, हरियाणा सतलुज-यमुना नहर के निर्माण के फरमान को लागू करने के लिए दबाव बना रहा है। इस मामले में पिछले करीब दो वर्षों से कोई बैठक नहीं हुई है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर, 2022 को जल शक्ति मंत्रालय, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान को इस मामले में सहयोग करने का निर्देश दिया है, जिससे कि इस मामले में आगे प्रगति हो सके। इस मामले में शीर्ष अदालत ने अटॉनी जनरल के सुझाव को स्वीकार कर लिया है और सुप्रीम कोर्ट में प्रगति रिपोर्ट जमा करने के लिए चार महीनों का समय दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 1 जनवरी, 2023 को होगी।
ये भी पढ़ें : पोषण माह के दौरान पानीपत के ददलाना में निकाली गई जागरूकता रैली
ये भी पढ़ें : प्रोफेसर दलजीत कुमार को राज्य स्तरीय हरियाणा भीम रत्न अवार्ड से नवाजा गया
ये भी पढ़ें : स्काउट्स के छात्रों व इन्चार्ज को किया सम्मानित
ये भी पढ़ें : श्री सनातन धर्म रामलीला कमेटी की ओर से दशहरा उत्सव मनाने के लिए बंगा में श्री हनुमान ध्वजा स्थापित की
Connect With Us: Twitter Facebook