Supreme Court On Right To Digital Access, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए हर हाल में ई-केवाईसी (डिजिटल नो योर कस्टमर) की सुविधा सुलभ होनी चाहिए। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने इस संबंध में आज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान डिजिटल समावेशन के दायरे का विस्तार करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

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हाशिए पर नहीं रखने चाहिए जरूरतमंद

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि सार्वजनिक और निजी सेवाओं के लिए तकनीकी प्लेटफॉर्म अब आवश्यक हैं और उन्हें दिव्यांगों या वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को हाशिए पर नहीं रखना चाहिए। बता दें कि एसिड अटैक पीड़ितों और दृष्टिहीन या दृष्टि बाधित लोगों को ई-केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने में आने वाली समस्याओं को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी। इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।

डिजिटल पहुंच का अधिकार जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग

अदालत ने कहा कि डिजिटल पहुंच का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग है। पीठ ने मौजूदा ईकेवाईसी मानदंडों में संशोधन का निर्देश दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दिव्यांग व्यक्ति – विशेष रूप से एसिड अटैक सर्वाइवर और दृष्टिबाधित व्यक्ति – बैंकिंग और सरकारी सेवाओं तक पहुंवने से वंचित न रहें।

डिजिटल परिवर्तन समावेशी और न्यायसंगत दोनों हो

पीठ ने फैसले में कहा, वास्तविक समानता का सिद्धांत मांग करता है कि डिजिटल परिवर्तन समावेशी और न्यायसंगत दोनों हो, इसलिए डिजिटल पहुंच का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक सहज घटक बन जाता है। कोर्ट ने दिव्यांगों, विशेष रूप से एसिड हमलों के कारण चेहरे की विकृति से पीड़ित व स्थायी दृष्टि दोष वाले लोगों के लिए ईकेवाईसी प्रक्रिया को सुलभ बनाने के लिए 20 निर्देश जारी किए। अपलोड होने के बाद निर्णय दस्तावेज में इन निर्देर्शों का विस्तृत विवरण दिए जाने की उम्मीद है।

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