Supreme Court: एएमयू संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार

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Supreme Court: एएमयू संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार
Supreme Court: एएमयू संविधान के आर्टिकल 30 के तहत अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार

Supreme Court On AMU Minority Status, (आज समाज), नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 57 वर्ष पहले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर दिए अपने ही फैसले को पलट दिया है। मामले में सुनवाई के दौरान 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने आज 4:3 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि एमयू संविधान के आर्टिकल 30 के अंतर्गत अल्पसंख्यक दर्जे की हकदार है।

अब नियमित पीठ करेगी फैसला 

बता दें कि शीर्ष अदालत की पांच जजों की पीठ ने 1967 में ‘अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य’ मामले में दिए अपने फैसले में कहा था कि एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे का दावा नहीं कर सकती। हालांकि 1981 में सरकार ने एएमयू अधिनियम में संशोधन करके यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा फिर बरकरार कर दिया था। सात जजों की पीठ ने आज सुनवाई के दौरान 4-3 के बहुमत से दिए अपने आदेश में कहा कि कोई भी संस्थान यदि कानून के अंतर्गत बना है तो भी वह अल्पसंख्यक संस्थान का दावा कर सकता है। अब एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा अथवा नहीं, नियमित पीठ इसका फैसला करेगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नहीं माना था संस्थान

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2006 में अपने फैसले में एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। 2019 में याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने मामला 7 सदस्यीय पीठ के पास भेज दिया था। सुनवाई के दौरान प्रश्न उठा था कि ऐसा कोई विश्वविद्यालय, जिसका प्रशासन सरकार संचालित कर रही हो, वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है?

फरवरी में फैसला सुरक्षित रख लिया था फैसला

सात सदस्यीय पीठ ने मामले पर सुनवाई पूरी करके इसी वर्ष एक फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अब फैसले को पलटते हुए स्पष्ट कर दिया है कि कानून द्वारा बनाए संस्थान को भी अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है। पीठ ने अंतिम फैसले के लिए मामला नियमित पीठ के पास भेज दिया है।

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