Aaj Samaj (आज समाज),Supreme Court, नई दिल्ली :
1. विधि आयोग ने राजद्रोह कानून को बरकरार रखने की सिफारिश, कहा राजद्रोह के लिए बढ़े सजा,कानून मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट
विधी आयोग (लॉ कमीशन) ने कुछ संशोधन के साथ राजद्रोह कानून को बनाए रखने की सिफारिश की है। कानून मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में विधि आयोग ने सिफारिश की है कि राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा-124ए को बरकरार रखने की जरूरत है, हालांकि इसके इस्तेमाल के बारे में अधिक स्पष्टता के लिए कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।
विधि आयोग ने कानून मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि धारा-124ए के दुरुपयोग को रोकने के लिए वह केंद्र सरकार द्वारा एक गाइडलाइंस को जारी करने की सिफारिश करता है। 22वें विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखे अपने संलग्न पत्र में कहा है, ”इस संदर्भ में यह भी सुझाव दिया जाता है कि सीआरपीसी, 1973 की धारा-196(3) के अनुरूप सीआरपीसी की धारा-154 में एक प्रविधान जोड़ा जा सकता है, जो आइपीसी की धारा-142ए के तहत अपराध के संबंध में एफआईआर दर्ज करने से पहले आवश्यक प्रक्रियागत सुरक्षा उपलब्ध कराएगा।”
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि किसी प्राविधान के दुरुपयोग का कोई भी आरोप उस प्राविधान को वापस लेने का आधार नहीं हो सकता। साथ ही औपनिवेशिक विरासत होना भी इसे वापस लेने का वैध आधार नहीं है। रिपोर्ट में आयोग का मानना है कि गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम जैसे कानून अपराध के उन सभी तत्वों को कवर नहीं करते, जिनका वर्णन आईपीसी की धारा-124ए में किया गया है।
इसी साल एक मई को राजद्रोह कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि सरकार ने राजद्रोह के प्रावधानों का परीक्षण शुरू किया है और इसके लिए हितधारकों से परामर्श चल रहा है। संसद के मानसून सत्र में बिल लाया जा सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगस्त के दूसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून 124 ( ए) पर रोक लगा दी थी।कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को राजद्रोह कानून की आईपीसी की धारा 124ए के तहत कोई मामला दर्ज नहीं करने का आदेश दिया था। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
2. साक्षी हत्याकांड: पुलिस को आरोपी साहिल के खिलाफ मिला बड़ा सबूत, हत्या में इस्तेमाल चाकू बरामद
साक्षी हत्याकांड में दिल्ली पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। हत्या में इस्तेमाल चाकू को पुलिस ने बरामद कर लिया है। इसी चाकू से साहिल ने साक्षी के शरीर पर एक दो बार नहीं बल्कि 21 बार हमले किए थे। पुलिस ने इस चाकू को रिठाला से बरामद किया है। डीसीपी आउटर नॉर्थ रवि कुमार सिंह ने मीडिया को बताया कि 16 साल की लड़की की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोपी साहिल द्वारा इस्तेमाल किया गया चाकू दिल्ली पुलिस ने बरामद कर लिया है।
पुलिस अधिकारियों ने लीगली स्पकिंग को बताया कि हत्याकांड की जांच के लिए हत्या में इस्तेमाल चाकू दिल्ली के बाहर से खरीदा गया था। वही दो दिनों की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद हत्यारे साहिल को अदालत में पेश किया गया था।पुलिस ने आरोपी से गहनता के साथ पूछताछ करने के लिए कोर्ट से आरोपी की 5 दिनों रिमांड मांगी थी। कोर्ट ने आरोपी को 3 दिनों की पुलिस रिमांड पर भेज दिया था।
वहीं पीड़ित परिवार आरोपी के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहा है। पीड़िता की मां का कहना है कि बेटी 10 दिन से अपनी दोस्त के घर में थी। वो जिस दोस्त का जिक्र कर रही हैं, उसका नाम नीतू है। नीतू के बेटे के बर्थडे में जाने की बात कहकर वह घर से निकली थी। वो अक्सर नीतू के घर जाती थी और वहां रुकती थी।
दूसरी तरफ पुलिस साहिल,और उसकी सहेली समेत कुल पांच लोगों के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकाल उसके आधार पर उनकी भूमिका की भी जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक इसमें साहिल के दो दोस्त शामिल हैं। इन दोनों दोस्तों की पहचान कर पुलिस ने इनसे एक बार पूछताछ भी कर ली है। पूछताछ में पता जानकारी मिली है कि साहिल इलाके के कुछ आवारा लड़कों का गैंग चलाता था , जिसकी वजह से आसपास के लोग भी परेशान थे।
3. 1984 सिख विरोधी दंगा मामला : कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर चलेगा मुकदमा, 8 जून से शुरू होगी सुनवाई
1984 के सिख विरोधी दंगों में आरोपी कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर की मुश्किलें बढ़ गई है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने टाइटलर के खिलाफ सीबीआई की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही टाइटलर के खिलाफ विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए ट्रांसफर कर दिया है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 8 जून को करेगा।
दरसअल जगदीश टाइटलर पर हत्या करने वाली भीड़ को उकसाने का आरोप है। सीबीआई ने पुल बंगश इलाके में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में हाल में टाइटलर की आवाज का नमूना भी लिया था। दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग की रिपोर्ट में जगदीश टाइटलर का नाम शामिल था।
सीबीआई ने 20 मई को 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े पुल बंगश मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। यह मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश इलाके में एक गुरुद्वारे में आग लगाए जाने और तीन लोगों की हत्या किए जाने से जुड़ा है।
सीबीआई ने यहां एक विशेष अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोप पत्र में दावा किया था कि टाइटलर ने एक नवंबर 1984 को ”पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्र भीड़ को उकसाया और भड़काया”, जिसके परिणामस्वरूप तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की हत्या कर दी गई थी
सीबीआई ने आरोप पत्र में टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 147 (दंगा), 148, 149 (गैर कानूनी तरीके से एकत्र होना) 109 (उकसाना), 302 (हत्या) और 295 (धार्मिक स्थलों को अपवित्र करना) समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
4*सर्वोच्च न्यायालय ने पलटा मद्रास हाईकोर्ट का फैसला वन संशोदन विधेयक की प्रेस विज्ञप्ति जारी करने पर रोक नहीं*
सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मद्रास में लागू होने वाले वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार की प्रेस विज्ञप्ति जारी करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया । सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के तर्कों पर गौर किया जिसमें कहा गया था कि लोकसभा सचिवालय सोमवार तक विधेयक के तमिल संस्करण को प्रकाशित करने के लिए आगे बढ़ेगा ताकि मामले में याचिकाकर्ता द्वारा आपत्तियां दर्ज की जा सकें।
इन तर्कों के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक तमिल संस्करण प्रकाशित हो जाने से उद्देश्य पूरा हो जाता है इसलिए प्रेस विज्ञप्ति पर रोक की आवश्यकता नहीं है। इस मामले पर सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसीटर जनरल मेहता ने कहा कि उच्च न्यायालय को विधायी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था।
दरअसल, मद्रास उच्च न्यायालय ने 24 मई को अधिवक्ता जी. थीरन थिरुमुरुगन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रेस विज्ञप्ति और आगे की सभी कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया था।
हाई कोर्ट ने कहा था, ‘अगर संशोधन विधेयक या प्रेस विज्ञप्ति को अंग्रेजी और हिंदी के अलावा अन्य स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं कराया गया, तो जनता से सुझाव मांगने के मंशा अधूरी रह जाएगी।
याचिकाकर्ता ने केंद्र को बिल की तमिल में एक प्रति वेबसाइट पर अपलोड करने और तमिल सहित स्थानीय भाषाओं में सुझाव प्राप्त करने का निर्देश देने की मांग की थी।
5*दिल्ली शराब घोटालाः वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही होगी मनीष सिसोदिया की पेशी- राउज एवेन्यू कोर्ट का आदेश*
दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के वकीलों द्वारा एक आवेदन दायर करने के बाद अदालत परिसर के 23 मई के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का आदेश दिया है। आवेदन में , आरोप लगाया गया है कि सुरक्षाकर्मियों ने अदालत परिसर के अंदर सिसोदिया के साथ दुर्व्यवहार किया था।
इसी के साथ दिल्ली पुलिस ने अदालत में एक अर्जी देकर सिसोदिया को केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश करने की अनुमति मांगी है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि सिसोदिया की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की जानी चाहिए क्योंकि अदालत के गलियारों में आम आदमी समर्थकों और मीडियाकर्मियों के जमा होने से उन्हें शारीरिक रूप से पेश करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल की अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक इस अर्जी पर फैसला नहीं हो जाता सिसोदिया को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही अदालत में पेश किया जाएगा और अदालत में व्यक्तिगत पेशी नहीं होगी।
सिसोदिया को गुरुवार को भी जेल के लॉकअप से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। इससे पहले कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़े धनशोधन मामले में सिसोदिया के खिलाफ दायर पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लिया। ईडी द्वारा दाखिल पूरक आरोपपत्र में इल्जाम लगाया गया है कि सिसोदिया ने गैरकानूनी तरीके से 622 करोड़ रुपये जुटाए। पूरक आरोप पत्र विशेष लोक अभियोजक नवीन कुमार मट्टा ने दायर किया था।
प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री के खिलाफ आबकारी नीति घोटाला मामले में 2100 पन्नों में पूरक आरोपपत्र दायर किया है। यह आरोपपत्र निर्धारित 60 दिन की अवधि के भीतर जांच पूरी कर दाखिल किया गया है। ईडी ने सिसोदिया को इस मामले में 9 मार्च को गिरफ्तार किया था। इससे पहले उन्हें सीबीआई ने 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। वह इस मामले में गिरफ्तार किए गए 29वें आरोपी हैं। सीबीआई इस मामले में आरोपपत्र पहले ही दाखिल कर चुकी है। सीबीआई मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पिछले सप्ताह दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी थी। जब धनशोधन मामले में उनकी जमानत याचिका उच्च न्यायालय में लंबित है।
राउज एवेन्यू अदालत ने मनीष सिसोदिया की जमानत खारिज करते हुए कहा था कि “आम जनता और समाज पर बड़े पैमाने पर गंभीर प्रभाव वाले आर्थिक अपराधों के इस मामले में जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत उक्त अपराध में उनकी संलिप्तता की और इशारा करते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि कुछ सबूत भी जांच के दौरान सामने आए हैं, जो दिखाते हैं कि साउथ लॉबी से प्राप्त घूस की राशि का कुछ हिस्सा गोवा में आप के चुनाव अभियान और कुछ नकद भुगतान के संबंध में खर्च या उपयोग किया गया था। आरोप है कि हवाला चैनलों को उक्त खर्चों को वहन करने के लिए गोवा भेजा गया था और यहां तक कि हवाला चैनलों के माध्यम से हस्तांतरित की गई नकद राशि के लिए कवर-अप के रूप में कुछ नकली चालान भी बनाए गए थे। ईडी के मुताबिक इस सारी प्रक्रिया में मुख्य भूमिका विजय नायर ने निभाई थी।
6 *भ्रष्टाचार के मामले में हरियाणा के आईएएस विजय दहिया की अग्रिम जमानत पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कर दी खारिज*
भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी का सामना कर रहे हरियाणा के आईएएस अधिकारी विजय दहिया की अग्रिम जमानत याचिका शुक्रवार को यहां पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी।
याचिका 2001 के हरियाणा कैडर के अधिकारी दहिया द्वारा दायर की गई थी। दहिया पहले पंचकुला में हरियाणा कौशल विकास विभाग के आयुक्त के रूप में तैनात थे। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने 20 अप्रैल को एक महिला की गिरफ्तारी के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था।
आरोपों के अनुसार, दहिया की परिचित महिला ने पैसे के एवज में कुछ बिलों को मंजूरी दिलाने के लिए कथित तौर पर मीडिएटर के रूप में काम किया।
एसीबी ने उक्त महिला के अलावा, एक अन्य दहिया और एक अधिकारी के खिलाफभ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित कानून के विभिन्न प्रावधानों में प्राथमिकी दर्ज की थी।
राज्य के वकील दीपक सभरवाल ने कहा कि न्यायमूर्ति जी एस गिल ने दहिया द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए आदेश सुनाया।
इससे पहले, पंचकूला की एक अदालत ने 3 मई को इस मामले में दहिया की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
इस मामले में फतेहाबाद निवासी शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह एक शैक्षणिक संस्थान चला रहा था और एसी मैकेनिकों के लिए कक्षाएं चलाने के अलावा कंप्यूटर प्रशिक्षण भी दे रहा था।
उन्होंने कहा था कि इस काम के लिए हरियाणा कौशल विकास विभाग को उन्हें 50 लाख रुपये के बिल का भुगतान करना था जो कुछ समय से लंबित थे और मामले में एक अन्य सह-आरोपी द्वारा उन्हें बरी करने के लिए 5 लाख रुपये की मांग की जा रही थी जिसने बताया था शिकायतकर्ता ने उस महिला से मुलाकात की जो दहिया को जानती थी।
शिकायतकर्ता ने एसीबी से संपर्क किया जिसके बाद महिला को तीन लाख रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।
दहिया ने प्रस्तुत किया है कि उन्हें “प्रेरित विचारों” के कारण मामले में झूठा फंसाया गया था।
उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया था कि इस मामले में न तो उनके द्वारा कोई मांग की गई थी और न ही रिश्वत की कोई स्वीकृति थी।
यह प्रस्तुत किया गया था कि याचिकाकर्ता को मामले में केवल इस कारण से फंसाया गया है कि वह आरोपी महिला को जानता है और अभियोजन पक्ष ने यह कहानी गढ़ने का प्रयास किया है कि याचिकाकर्ता भी मामले में एक आरोपी है।
7 *दिल्ली शराब घोटालाः एक आरोपी पी शरथ चंद्र रेड्डी बना सरकारी गवाह, सिसोदिया-केजरीवाल की बढ़ीं मुसीबतें*
हैदराबाद के व्यवसायी पी सरथ चंद्र रेड्डी कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं, दिल्ली की एक अदालत ने इस आशय की उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उन्हें क्षमा प्रदान कर दी है। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी इस मामले में आरोपी हैं।
पी सरथ चंद्र रेड्डी के सरकारी गवाह बनने से राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में अन्य अभियुक्तों पर कानूनी संकट बढ़ सकता है।
इस घोटाले से संबंधित सीबीआई और ईडी के मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने कहा कि रेड्डी को 29 मई को पारित आदेश द्वारा क्षमादान दिया गया है।
इससे पहले रेड्डी ने अदालत को दिए अपने आवेदन में कहा, “मैं घोटाले के बारे में स्वेच्छा से सही खुलासे करने के लिए तैयार हूं और मामले में सरकारी गवाह बनना चाहता हूं।” रेड्डी को हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिकित्सा आधार पर जमानत दी थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुताबिक, रेड्डी हैदराबाद स्थित कंपनी अरबिंदो फार्मा के प्रमुख हैं और शराब के कारोबारी भी हैं।
हालांकि, रेड्डी ने इससे पहले में ईडी पर “पूर्व निर्धारित” बयानों पर हस्ताक्षर करने के लिए गवाहों पर अनुचित दबाव डालने और बल का उपयोग करने का आरोप लगाया था। हालांकि, उन्होंने बाद में कहा था कि आरोप ‘निराधार’ हैं।
सीबीआई और ईडी की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया।
ईडी ने पहले अदालत को बताया था कि यह पर्याप्त रूप से स्पष्ट था कि रेड्डी ने कथित घोटाले में शामिल विभिन्न व्यापार मालिकों और राजनेताओं के साथ सक्रिय रूप से योजना बनाई और साजिश रची, और दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति से अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए अनुचित बाजार प्रथाओं में लिप्त रहे।
रेड्डी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने एक सांठगांठ का नेतृत्व किया था, जो उत्पाद शुल्क नीति के उद्देश्यों के स्पष्ट उल्लंघन में कार्टेलाइजेशन के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार के एक बड़े बाजार हिस्से को नियंत्रित करता था।
दिल्ली के एक व्यवसायी दिनेश अरोड़ा इससे पहले कथित घोटाले से उत्पन्न भ्रष्टाचार के मामले में सरकारी गवाह बन गए थे, जिसकी जांच भी सीबीआई द्वारा की जा रही है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जिनके पास 2021-22 में कथित घोटाला होने के समय आबकारी विभाग था, सीबीआई और ईडी द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में भी आरोपी हैं। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।
ईडी अब रद्द की जा चुकी शराब नीति से जुड़े मामलों में आरोपियों द्वारा कथित धन शोधन की जांच कर रहा है।
8*नगर पालिका भर्ती घोटाले की ईडी-सीबीआई जांच रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंची प. बंगाल सरकार को लगा झटका*
पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है जिसमें कथित नगरपालिका भर्ती घोटाले के संबंध में सीबीआई और ईडी द्वारा की जा रही जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता सुनील फर्नांडिस ने न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को तीन जुलाई के तक के टाल दिया इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल सरकार के वकील से कहा कि वो इस मामले को कोर्ट के सामने मेंशन करेंगे।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर आपत्ति जताई कि कोई राज्य अपराधियों के बचाव में सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकता है और सीबीआई या ईडी जांच के आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर सकता है। उन्होंने कहा कि कोई आरोपी आया होता तो समझा जा सकता था। अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई तीन जुलाई को अवकाश के बाद होगी।
याचिकाकर्ता पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा पारित 22 मई, 2023 के अंतरिम आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पीठ ने न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा पारित 21 अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। जिसे बाद में न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा द्वारा पारित 12 मई के निर्णय द्वारा संशोधित किया गया था।
याचिका में कहा गया है, “कथित ‘नगरपालिका भर्ती घोटाले’ से संबंधित सीबीआई और ईडी द्वारा की गई जांच पर रोक लगाने में विफल रहने के कारण विवादित आदेश भी इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून की अनदेखी करने के लिए आगे बढ़ा है।” .
इसमें कहा गया है, “सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की अनुमति देने वाली डिवीजन बेंच द्वारा पारित किया गया आदेश, इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों को नपुंसकता से दूर करने का एक कमजोर प्रयास है, और एक कार्यवाही में राज्य सरकार पर आक्षेप लगाने के लिए, जहां कोई नहीं है।” राज्य को किसी भी कथित अपराध की जांच करने का अवसर दिया गया है, जिससे उनकी शक्तियों का हनन किया जा सके।”
याचिका में कहा गया है, “वास्तव में, खंडपीठ का मानना है कि सीबीआई द्वारा जांच एक प्रारंभिक/प्रारंभिक चरण में है, जिसे अवैधता के आगे के अपराध से बचने के लिए तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए।”
पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि खंडपीठ इस बात की सराहना करने में “विफल” रही है कि कानून और व्यवस्था एक राज्य का विषय है, और राज्य पुलिस के पास अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में किए गए किसी भी संज्ञेय अपराध की जांच करने की “प्राथमिकता” है।
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