Aaj Samaj, (आज समाज),Supreme Court,नई दिल्ली:
1.द्रमुक नेता कनिमोझी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, संसदीय सीट से निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचीका ख़ारिज
2019 में संपन्न लोकसभा चुनाव में द्रमुक नेता कनिमोझी करुणानिधि के तमिलनाडु की थूथुकुड़ी संसदीय सीट से निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने फैसला सुनाया है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कनिमोझी के लिए पेश वरिष्ठ वकील पी विल्सन और याचिकाकर्ता ए संतनकुमार के लिए अधिवक्ता मुकेश की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
दरसअल कनिमोझी ने 2019 में थूथुकुड़ी क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और उनके निर्वाचन को एक मतदाता ए सनातन कुमार ने चुनौती दी थी। मतदाता ने आरोप लगाया है कि कनिमोझी ने पारिवारिक संपत्ति का खुलासा करते हुए अपने चुनावी हलफनामे में अपने पति के पैन नंबर का जिक्र नहीं किया था।
2.आबकारी नीति घोटाला: ईडी मामले में मनीष सिसोदिया की अंतरिम जमानत अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया, 11 मई को अगली सुनवाई
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर दिल्ली आबकारी शराब घोटाला मामले में अंतरिम जमानत के लिए गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। सिसोदिया ने पत्नी की खराब तबीयत का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत मांगी है। हाई कोर्ट ने मनीष ने ईडी को एक हफ्ते में जवाब मांगा है। 11 मई को मामले की अगली सुनवाई होगी।
इससे पहले दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आप नेता मनीष सिसोदिया की प्रवर्तन निदेशालय मामले में न्यायिक हिरासत 8 मई तक बढ़ा दी है। शनिवार को मनीष को अदालत में पेश किया गया था। ईडी के वकील ने अदालत में कहा कि मनीष सिसोदिया 9 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और 10 मार्च को रिमांड पर लिया गया था, जिसके बाद अदालत ने मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी।
इससे पहले पिछले शुक्रवार को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने आप नेता मनीष सिसोदिया की प्रवर्तन निदेशालय मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
ईडी ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसोदिया को 9 मार्च को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था, जहां उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जांच की जा रही एक अलग मामले के सिलसिले में रखा गया था। वही सीबीआई ने 2021-22 के लिए अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में 26 फरवरी को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता को गिरफ्तार किया था।
3. स्वाति मालीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत, भ्रष्टाचार के मामले में लगी रोक हटाने से इनकार किया
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वाति मालीवाल के खिलाफ निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर लगी रोक हटाने से इनकार किया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को कहा कि वो जल्द इस मामले की सुनवाई कर निपटारा करे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से भी इनकार किया। दअरसल हाई कोर्ट ने निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रहे मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।स्वाति मालीवाल निचली आदेश के उस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका जिसमें उन पर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप तय करने का आदेश दिया गया था। स्वाति पर आरोप है कि अगस्त 2015 से लेकर 2016 के बीच दिल्ली महिला आयोग में आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां की गई।
पिछले साल 8 दिसंबर को राउस एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विनय सिंह की अदालत ने मालीवाल, प्रमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और प्रवीण मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (2) और 13(1)( 1) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।
पूर्व विधायक बरखा शुक्ला सिंह की शिकायत पर 11 अगस्त, 2016 को भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में मामला दर्ज किया गया था।
4. तुनिषा शर्मा आत्महत्या मामला:अभिनेता शीजान खान को शूटिंग के लिए विदेश यात्रा के लिए मुंबई कोर्ट से मिली इजाज़त
महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई सत्र न्यायालय ने अभिनेता शीजान खान को विदेश यात्रा की अनुमति दे दी है। खान ने एक याचिका दायर कर अपना पासपोर्ट अस्थायी रूप से जारी करने की मांग की थी ताकि वह ‘खतरों के खिलाड़ी’ के आगामी सीजन के लिए काम के सिलसिले में यात्रा कर सकें। तुनिषा शर्मा की मां ने खान के खिलाफ अपनी बेटी को आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दर्ज कराने के बाद खान को गिरफ्तार किया था।
24 दिसंबर को, शर्मा ने कथित तौर पर उनके टीवी शो, अली बाबा: दास्तान-ए-काबुल के सेट पर आत्महत्या कर ली। शीजान को अगले दिन गिरफ्तार कर लिया गया और इस साल 5 मार्च को जमानत पर रिहा कर दिया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा, “आवेदक को टीवी श्रृंखला ‘खतरों के खिलाड़ी’ की शूटिंग के उद्देश्य से आज से 10 जुलाई तक विदेश जाने और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की यात्रा करने की अनुमति है।” खान को शो की शूटिंग कर रहे नेटवर्क के एक जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा हलफनामा दायर करने का आदेश दिया गया है। यह टेलीविजन शो “फियर फैक्टर: खतरों के खिलाड़ी” के संबंध में नेटवर्क फर्म द्वारा उन्हें दिए गए ई-मेल की सत्यता के संबंध में है। अदालत ने बाद में वालिव पुलिस स्टेशन को 10 जुलाई को भारत लौटने की तारीख तक सीमित समय के लिए उसका मूल पासपोर्ट वापस करने का आदेश दिया। इस बीच, खान या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा नियुक्त वकील को अदालत को अपडेट प्रदान करने के लिए वसई मजिस्ट्रेट अदालत में उपस्थित होना होगा।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि “10 जुलाई, 2023 को या उससे पहले भारत लौटने के बाद, खान को तुरंत अपना पासपोर्ट पुलिस स्टेशन में सरेंडर करना होगा और भारत से दक्षिण अफ्रीका गणराज्य के लिए अपनी यात्रा कार्यक्रम का विवरण देना होगा, साथ ही मोबाइल फोन नंबरों सहित अपनी संपर्क जानकारी भी देनी होगी।
5.नीतीश सरकार को पटना हाई कोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने जाति आधारित गणना पर लगाई रोक
बिहार सरकार को गुरुवार को पटना हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पटना हाई कोर्ट ने मजाति आधारित गणना पर रोक लगा दी है।जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर बहस पूरी होने के बाद गुरुवार को फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी, तब तक जातिगत जनगणना पर रोक जारी रहेगी। हालांकि अब तक जो डेटा इकट्ठा किया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाएगा।
महाधिवक्ता पीके शाही ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अभी तक उन्होंने फैसले की पूरी कॉपी पढ़ी नहीं है। पढ़ने के बाद ही इस पर कुछ बता पाएंगे। हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाना है या नहीं, इसपर भी फैसला अभी नहीं लिया गया है।
वहीं, याचिकाकर्ताओं के वकील ने फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार सरकार का जातिगत गणना कराने का काम असंवैधानिक था। कोर्ट ने अभी अंतरिम रोक लगा दी है। अब 3 जुलाई को विस्तार से दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।
दरसअल पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बहस के दौरान नीतीश सरकार ने कहा कि राज्य सरकार को गणना कराने का अधिकार है। यह जनगणना नहीं है। इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े समेत अन्य लोगों की गणना करनी है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों से 17 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इनसे किसी की भी गोपनीयता भंग नहीं हो रही है।
वही याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि नीतीश सरकार ने इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं किया कि जातीय गणना क्यों कराई जा रही है। इतना ही नही इसके लिए आपातकालीन फंड से 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि इससे पैसा निकालने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होता है।
6.द केरला स्टोरी’ को ‘सुप्रीम’ राहत, शुक्रवार को रिलीज होगी फिल्म, कोर्ट ने कोई भी आदेश देने से किया इंकार*
‘आंतकवाद’ पर… खासतौर पर केरल में हिंदू और क्रिश्चियन लड़कियों को प्रेम पाश (लव जिहाद) में फांस कर ब्रेन वॉश करने,उनका धर्मांतरण कराने और फिर आईएसआईएस में शामिल कराने की कहानी पर आधारित ‘द केरला स्टोरी’ की रिलीज पर बैन लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया है। तमाम विरोधों के बावजूद देश भर के सिनेमाघरों ‘द केरला स्टोरी’शुक्रवार को रिलीज होने जा रही है।
इससे पहले ‘द केरला स्टोरी’ पर रोक लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट से शुरू होकर केरल हाईकोर्ट-मद्रास हाई कोर्ट होते हुए एकबा फिर वापस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। केरल हाईकोर्ट ने जैसे ही फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इंकार का फैसला सुनाया वैसे ही एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने स्पेशल मेंशनिंग की गई।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि केरला हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किया है और उन्हें उसके आदेश में कोई कमी नजर नहीं आती है। काफी देर तक हुए तर्क वितर्क के बाद याचिकाकर्ताओं ने नया मुद्दा फिल्म के सर्टिफिकेट का मुद्दा रख दिया। इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि सर्टिफिकेशन की तारीख क्या है? चीफ जस्टिस में कड़े लहजे में कहा कि कभी आप हेट स्पीच की बात करते हैं तो कभी फिल्म के सर्टिफिकेट को चैलेंज करने लगते हैं। आप चाहते क्या हैं। हम इस तरह फिल्म की रिलीज पर रोक नहीं लगा सकते।
किसी भी तरह का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में उठाते समय देखना चाहिए कि प्रोड्यूसर को किन किन चुनौतियों को सहन करेगा। हालांकि, चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ताओं के वकील को ऑप्शन दिया कि वो शुक्रवार सुबह सवा दस बजे मामले को मेंशन करें और जल्द सुनवाई की मांग करें, लेकिन याचिकाकर्ताओं के वकील अहमदी आज (गुरुवार को) ही सुनवाई की मांग पर अड़े रहे।
अंत में सीजेईआई चंद्रचूड़ ने कहा कि फिल्म को सीबीएफसी से सर्टिफिकेट मिला है, केरला हाईकोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। हम ने भी कल सुनने से इंकार किया। सभी तीन स्टेप पूरे हो चुके है। लिहाजा यह कोर्ट ‘द केरला स्टोरी’के केस में किसी तरह का आदेश नहीं दे रही है।
7*सुप्रीम कोर्ट ने डिस्पोज्ड ऑफ किया महिला रेसलर्स का केस, रिटायर्ड जज से जांच की मांग भी कर दी खारिज*
दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे रेस्लर्स को सुप्रीम कोर्ट तगड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस उद्देश्य से याचिका दाखिल की गई थी। वो उद्देश्य पूरा होचुका है। रेस्लर्स की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों की याचिका पर सुनवाई गुरुवार को बंद कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने पहलवानों के वकील से कहा कि अगर कोई शिकायत है तो राहत के लिए हाई कोर्ट या ट्रायल कोर्ट जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका का उद्देश्य पूरा हो गया है क्योंकि दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और पहलवानों को सुरक्षा प्रदान की जा चुकी गई है। “हमने इस स्तर पर कार्यवाही बंद कर दी है। यदि याचिकाकर्ता कुछ और चाहते हैं, तो वे मजिस्ट्रेट या उच्च न्यायालय जा सकते हैं।
दरअसल, भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख भूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सात महिला पहलवानों ने मुहरबंद लिफाफे में हलफनामा दाखिल करने की अनुमति के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर दो एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। रेस्लर्स की मांग पर शिकायतकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा भी मुहैया करा दी गई है। गुरुवार को रेस्लर्स ने पूरे मामले की जांच रिटायर्ड जज से कराने मांग रखी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से नकार दिया।
पहली बार आरोपी बृजभूषण सिंह की ओर से देश के सबसे बड़े वकीलों में से हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने अदालत से कहा कि मेरे ऊपर आरोप लगाए गए हैं, मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और मेरा पक्ष तक नहीं सुना गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और दिल्ली पुलिस की सीनियर महिला अफसर के नेतृत्व में जांच शुरु हो चुकी है।
8.कैलाश विजयवर्गीय पर यौन शौषण का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने वापस अलीपुर सीजेएम के पास भेजा*
भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय पर लगाए गए यौन शोषण के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने वापस ट्रायल कोर्ट को भेज दिया है और कहा है कि सीजेएम तय करें कि मुकदमा चलाया जा सकता है या नहीं।
दरअसल, सीजेएम ने पश्चिम बंगाल की एक महिला की शिकायत पर कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ यौन शोषण का मुकदमा चलाने से इंकार कर दिया था। शिकायतकर्ता महिला सीजेएम के आदेश के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट गई। हाईकोर्ट ने सीजेएम आदेश को निरस्त करते हुए कैलाश विजयवर्गीय पर मुकदमा चलाने के आदेश जारी कर दिए।
कैलाश विजयवर्गीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को फिर से सीजेएम के पास भेजते हुए यह निर्धारित करने के निर्देश दिए ट्रायल कोर्ट यह सुनिश्चित करे कि कैलाष विजय वर्गीय पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए या नहीं।
कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के अलीपुर के चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट तथ्य देखकर तय करेंगे कि क्या एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जा सकता है। इससे पहले चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट ने एफआईआर की मांग खारिज कर दी थी।
सुनवाई के दौरान विजयवर्गीय की ओर से कहा गया था कि शुरू में यौन शोषण के आरोप नहीं थे, ये आरोप बाद में जोड़े गए। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि वे इस मामले में कुछ कहना नहीं चाहते हैं।