नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 23 दिनों से लगातार चल रही है। इस विवाद के निपटारे के लिए एक बार फिर मध्यस्थता पैनल को बीच में लाने की बात हो रही है। इस मामले की दो मुख्य पार्टियों ने मध्यस्थता समिति को पत्र लिखा। सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़े ने अदालत द्वारा गठित मध्यस्थता समिति को पत्र लिखकर एक बार फिर से कोर्ट के बाहर बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाने की मंशा प्रकट की है। यह विवाद अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने साल 1961 में विवादित जमीन के मालिकाना हक के लिए केस किया था। बोर्ड ने अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखकर दोबारा बातचीत शुरू करने की मांग की है। इसी तरह की बात वाला पत्र निर्वाणी अखाड़े भी उच्चतम न्यायालय को लिखा है। यह अयोध्या के तीन रामआनंदी अखाड़े में से एक है जो हनुमान गढ़ी मंदिर का संचालन और देखरेख करता है।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद के निपटारे के लिए मध्यस्थता पैनल गठित किया था जिसमें शीर्ष अदालत के पूर्व जज एफएम कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता के लिए मशहूर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। पैनल की अध्यक्षता जज कलीफुल्ला कर रहे थे। पैनल ने 29 जुलाई को बातचीत बंद कर दी थी क्योंकि जमीयत उलेमा ए हिंद (मौलाना अरशद मदनी) ने कट्टरपंथी स्टैंड अपनाया और राम जन्मभूमि न्यास ने विवादित स्थल पर मंदिर बनाने की मांग की। अब एक बार फिर सुन्नी वक्फ बोर्ड और निवार्णी अखाड़े ने न्यायालय के मध्यस्थता पैनल में विश्वास जताया है और समझौते पर बातचीत करने की मांग की है। मध्यस्थता पैनल ने 8 मार्च से बातचीत शुरू की थी। लगभग 155 दिनों तक यह सिलसिला चला लेकिन फिर भी किसी निर्णय तक यह पैनल नहीं पहुंच सका था। जिसके बाद मध्यस्थता बंद कर दी गई थी और सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिदिन इस केस की सुनवाई शुरू की थी।