Aaj Samaj, (आज समाज), Summons issued against Raj Thackeray,दिल्ली :
1.बिहारियों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने पर राज ठाकरे के खिलाफ जारी समन दिल्ली हाईकोर्ट ने किए खारिज
दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ उनके द्वारा छठ पूजा पर कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए जारी समन आदेश को रद्द कर दिया।
जस्टिस जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने बोकारो (झारखंड), बेगूसराय (बिहार), पटना और रांची की अदालतों द्वारा जारी आदेश को रद्द कर दिया।
इसलिए, आदेश पारित करते हुए, अदालत ने कहा, भारत एक ऐसा देश है, जो अपने विभिन्न धर्मों, आस्थाओं और भाषाओं के कारण अद्वितीय है, जो साथ-साथ रहते हैं।
आदेश में कहा गया है कि “मेरा विचार है कि भारत एक ऐसा देश है जो विभिन्न धर्मों, आस्थाओं और भाषाओं के कारण अद्वितीय है, जो साथ-साथ सह-अस्तित्व में हैं। इसकी एकता इस “सह-अस्तित्व” में निहित है। धार्मिक भावनाएँ इतनी नाजुक नहीं हो सकतीं कि किसी व्यक्ति के भाषण से आहत या उत्तेजित हो जाएँ। धर्म और आस्था इंसानों की तरह नाजुक नहीं हैं। वे सदियों से जीवित हैं और कई और वर्षों तक जीवित रहेंगे। आस्था और धर्म अधिक हैं लचीला है और किसी व्यक्ति के विचारों/उकसाने से आहत या उकसाया नहीं जा सकता है।”
इसलिए, वर्ष 2009 में छठ पूजा के संबंध में कुछ बयान देने के बाद राज ठाकरे के खिलाफ विभिन्न शहरों में शिकायतें दर्ज की गईं। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि ठाकरे की टिप्पणियों ने उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
मजिस्ट्रेटों ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153बी (अभियोग, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक दावे), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) और 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत अपराधों का संज्ञान लिया।
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। फिर, ठाकरे ने वर्ष 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और उनके खिलाफ शिकायतों को रद्द करने की मांग की।
उच्च न्यायालय के समक्ष ठाकरे के वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने कोई भी भड़काऊ भड़काऊ भाषण नहीं दिया है जैसा कि शिकायत में आरोप लगाया गया है।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अगर भाषण से किसी व्यक्ति या समुदाय की किसी भी धार्मिक भावनाओं को अनजाने में नुकसान पहुंचा है, तो ठाकरे बिना शर्त माफी का उल्लेख करते हैं और इसके लिए खेद व्यक्त करते हैं।
मामले का अध्ययन करने के बाद, न्यायमूर्ति सिंह ने सम्मन आदेशों को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में निर्धारित प्रक्रियाओं और सम्मन जारी करने के लिए पालन नहीं किया गया है।
“मौजूदा मामले में समन जारी करने के लिए आगे बढ़ने से पहले विद्वान मजिस्ट्रेट द्वारा कोई जांच नहीं की गई है … इसलिए जांच के अभाव में याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 298 के तहत समन जारी नहीं रखा जा सकता है।” हालांकि, अदालत ने आपराधिक शिकायत को खारिज करने से इनकार कर दिया।
2. यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचीका पर सुनवाई टली, 1 मई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
यूट्यूबर मनीष कश्यप की याचीका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट मनीष की याचीका पर अब 1 मई यानी सोमवार को सुनवाई करेगा। वही सुनवाई से पहले तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया।
तमिलनाडु सरकार ने मनीष कश्यप की याचीका का विरोध करते हुए कहा कि यूट्यूबर मनीष कश्यप पर एनएसए इसलिए लगाया गया क्योंकि उन्होंने झूठी खबरों का वीडियो बनाया और उन्हें सांप्रदायिक नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल किया।इसके अलावा कश्यप ने वीडियो से छेड़छाड़ कर उसका इस्तेमाल करते हुए इस वीडियो को प्रवासियों को पीटे जाने की ख़बर के साथ दिखाया। हलफ़नामे में यह भी कहा कि कश्यप ने तमिलनाडु का दौरा करने के दौरान घृणा को बढ़ावा देने और केवल वैमनस्य फैलाने के लिए प्रवासियों को लेकर उनसे सवाल पूछे।
दरसअल मनीष कश्यप ने अपनी याचिका में सभी एफआईआर को एक साथ जोड़ने और एफआईआर को रद्द करने की भी मांग की है।
3.परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं ऑन लाइन गेम्स, मद्रास हाईकोर्ट में सरकार की ओर से बोले एडवोकेट सिब्बल*
तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में मद्रास उच्च न्यायालय के सामने हलफनामा दायर क किया है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत “परिवारों को बर्रबाद रही है।” नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी प्रकार के ऑनलाइन गेमिंग पर रोक लगाने वाले एक नए अधिनियम की आवश्यकता थी।इसलिए यह कानून लाया गया है।
ऑन लाइन गेम के खिलाफ बने एक्ट के खिलाफ दायर याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा और न्यायमूर्ति डी भरत की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को सूचित किया कि न्यायालय को नए कानून के पीछे की मंशा पर विचार करना चाहिए।
“प्राथमिक तर्क यह निजी हित बनाम सार्वजनिक हित के बारे में है। न्यायालय को इस कानून के पीछे की मंशा को देखना होगा। यह तमिलनाडु के लोगों की रक्षा के लिए आवश्यक है,” अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया।
एडवोकेट सिब्बल तमिलनाडु ऑनलाइन जुआ निषेध और ऑनलाइन गेम निषेध अधिनियम, 2022 के पक्ष में सरकार की ओर से दलीलें रख रहे थे। ।
याचिकाकर्ताओं ने अधिनियम के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने और किसी भी कठोर कार्रवाई से अंतरिम सुरक्षा की भी मांग की थी।
खंडपीठ ने, हालांकि, यह कहते हुए कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया कि ऐसा निर्णय केवल राज्य सरकार को सूचित करने के बाद ही किया जा सकता है। राज्य से अगली सुनवाई तक दलीलों का जवाब देने की उम्मीद है, जो 3 जुलाई, 2023 के लिए निर्धारित है।
4.जंतर-मंतर पर बैठे रेस्लर्स की जीत! सरकारी वकील तुषार मेहता ने SC से कहा- बृजभूषण सिंह के खिलाफ FIR होगी
दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने तय किया है कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ लगे आरोपों के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी।
इसके बाद पहलवानों की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने रेस्लर्स की सुरक्षा की मांग की। उन्होंने पहलवानों के आरोपों की जांच के लिए स्पेशल टास्कफोर्स के गठन का भी अनुरोध किया। इसपर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि यह विषय दिल्ली पुलिस कमिश्नर पर छोड़ देना चाहिए। इस पर सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच होनी चाहिए। इसपर तुषार मेहता ने कहा कि अब यह मांग कुछ अधिक है। पुलिस कमिश्नर ज़िम्मेदार अधिकारी हैं।
इसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल हम आपका यह बयान रिकॉर्ड कर लेते हैं कि बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी। सीजेआई ने कहा कि अब हम 1 हफ्ते बाद आगे की कार्यवाही का जानकरी लेंगे। सॉलिसीटर जनरल ने इसपर कहा कि यह उचित नहीं है। हर मामले में सीधे कोर्ट की या पूर्व जज की निगरानी की मांग की जाती है। शायद खिलाड़ी खुद नहीं जानते कि उनके नाम पर कुछ और भी चल रहा है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने की बात कही है। हम अभी जांच के लिए एसटीएफ बनाने पर कुछ नहीं कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि नाबालिग खिलाड़ी पर खतरे की समीक्षा कर पुलिस कमिश्नर उसे सुरक्षा दें। बाकी खिलाड़ियों की सुरक्षा की भी समीक्षा हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब यह मामला अगले शुक्रवार के लिए सूचिबद्ध किया जा रहा है।
5. पालघर मामला: सीबीआई जांच के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार हरी झंडी दी
2020 में पालघर में तीन साधुओं की लिंचिंग के मामले में सीबीआई जांच के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने मामले को सीबीआई को देने का फैसला किया है, इसलिए अब आगे निर्देशों की जरूरत नहीं। उपरोक्त टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई बंद करते हुए याचीका का निस्तारण कर दिया। मामले की सुनवाई के दौरन महाराष्ट्र सरकार की ओर से बताया गया कि सरकार मामले को सीबीआई को देने का फैसला कर चुकी है।
इससे पहले महाराष्ट्र की एकनाथ शिंद के नेतृत्व वाली सरकार पहले ही पूरे मामले की सीबीआई जांच को लेकर सहमति जता चुकी है। सरकार ने कुछ समय पहले कोर्ट को इस बारे में जानकारी भी दे दी गई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ को याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा पिछली सुनवाई राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की सहमति दी है।
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