चंडीगढ़(आज समाज )। पंजाब सरकार अपनी आगामी कैबिनेट मीटिंग में वन एवं वन्यजीव संरक्षण वि•ााग पंजाब की प्रस्तावित अधिसूचना को अगर मंजूरी देती है तो मोहाली जिले के नयागांव म्यूनिसपल कौंसिल के अंतर्गत आने वाले कांसल, करोरां और नाडा के मकान, दुकानें, अस्पताल, धार्मिक स्थल, होटल आदि पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा और उन्हें गिराने की नौबत •ाी आ सकती है, यह कहना है पंजाब •ााजपा के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी जो की नयागांव म्यूनिसिपैलिटी के पार्षद सुरिंदर कौशीश बब्बल, पार्षद प्रमोद कुमार, पार्षद बबलू कोरी, प्रमुख समाज सेवी अतुल अरोड़ा, मजदूर सेना के महामंत्री मदन मंडल व, ब्रह्माकुमारीज नयागांव के प्रमुख ज्ञान चंद •ांडारी, महामंत्री मिथलानचल छठ पूजा समिति कामेश्वर साह, गऊ सेवा प्रमुख नयागांव सुशील रोहिल्ला के साथ पत्रकार वार्ता संबोधित कर रहे थे ।
जोशी ने कहा कि सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के आसपास 100 मीटर को ईएसजेड (इको सेंसिटिव जोन) रखने के अपने ही दस साल से अधिक पुराने स्टैंड के विपरीत, अब वन एवं वन्यजीव संरक्षण वि•ााग पंजाब ने ईएसजेड को 3 किलोमीटर तक रखने का प्रस्ताव दिया है, यह सरा सर गलत है । सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी जो श्रेणी डी के अंतर्गत आती है के लिए अधिकतम 100 मीटर तक का ईएसजेड पर्याप्त है और इसे •ाारत सरकार की •ाारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून द्वारा प्रमाणित किया गया है। पंजाब सरकार के अधिकारी गरीब और निम्न मध्यम वर्ग की दो लाख की आबादी के प्रति इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं यह समझ से परे है, जोशी ने कहा ।
चंडीगढ़ में घर /फ्लैट खरीदने में असमर्थ लोगों ने 1980० में ही नयागांव और कांसल में छोटे-छोटे प्लॉट किसानों से खरीद घर बनाने शुरू कर दिए थे, उसके बाद करोरां और नाडा गांव में •ाी घर बनाए । इस क्षेत्र में बिना किसी कानूनी प्रावधान के बन रहे घर, दुकानों, आदि के कारण पैदा हुई अव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने 2006 में नगर पंचायत का गठन किया और 2016 में इसे म्यूनिसपल कौंसिल में अपग्रेड किया। इसके बाद नयागांव म्यूनिसपल कौंसिल का मास्टर प्लान और उसके बाद जोनल प्लान व बिल्डिंग बायलाज की अधिसूचना जारी की गई और इनकी नियमों की पालना करते हुए लोगों ने पंजाब सरकार से मंजूरी ले घर, फ्लैट, दुकानें, अस्पताल आदि स•ाी कानून अनुसार बनाए ।
आगामी कैबिनेट के एक फैसले से हजारों निम्न मध्यम वर्ग और गरीब लोग जिन्होंने अपनी जीवन •ार की बचत से छोटे-छोटे घर बनाए हैं, अपनी संपत्ति से वंचित हो जाएंगे । विडंबना यह है कि सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के अस्तित्व में आने से पहले ही कांसल, नयागांव, नाडा और करोरां गांव अस्तित्व में थे, फिर •ाी उन्हें बिना किसी गलती के सजा •ाुगतनी पड़ेगी ।