Sufi Islamic Board: सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान ने सीएए लागू करने के लिए किया गृह मंत्री का धन्यवाद

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सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान। 

Aaj Samaj (आज समाज), Sufi Islamic Board, नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा देशभर में इसी सप्ताह लागू किए गए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर जहां कुछ विपक्षी दल व संगठन नाराज हैं, वहीं सूफी इस्लामिक बोर्ड ने इस पर खुशी जताई है। बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान ने देश में सीएए लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद किया है और कहा है कि यह कानून तीन देशों, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों की बेहतरी के लिए है। यह उनके हक में लागू किया गया है। उन्होंने कहा, सीएए लागू करके गृह मंत्री लाखों लोगों को यह मौका दे रहे हैं और इसके लिए हम उनके आभारी हैं।

सीएए में प्रावधान बहुत खुशी की बात

मंसूर खान ने कहा कि सीएए के अंदर जो प्रावधान है वह बहुत खुशी की बात है। उन्होंने कहा, जो लोग पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं और बहुत खराब परिस्थितियों में आकर यहां बसे हैं, नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत उन्हें मान्यता दी जा रही है।

कई साल पहले दोनों सदनों में पारित हो चुका था विधेयक

सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि जो लोग इस तरह का प्रचार कर रहे हैं कि सीएए अच्छा नहीं है उन्हें पता नहीं है कि विधायिका क्या है, न्यायपालिका क्या है और कार्यपालिका क्या है। उन्हें पता होना चाहिए कि कई साल पहले इस संबंध में बिल को दोनों सदनों में निर्वाचित लोगों द्वारा पारित किया गया था और आज यह जिस स्थिति में है, केवल इसके नियम बनाए गए हैं।

सीएए के विरोधी कर रहे लोगों को गुमराह करने की कोशिश

मंसूर खान ने कहा, सीएए का विरोध करने वाले लोग मुसलमानों और लोगों को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अपनी नागरिकता खो देंगे। यह एक नागरिकता बिल है। यह उन प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को मान्यता देने जा रहा है जो बहुत बुरी परिस्थितियों में यहां आए हैं।

बरतिया सूफी फाउंडेशन भी कर चुका है सर्मथन

बरतिया सूफी फाउंडेशन ने भी इससे पहले सीएए का समर्थन किया था। बरतिया सूफी फाउंडेशन के अध्यक्ष कशिश वारसी ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा था कि संशोधित नागरिकता कानून के कई उद्देश्यों में से एक अवैध अप्रवासियों की आमद को रोकना है, जो करदाताओं का पैसा खा रहे हैं।

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