Study Report: बीपी-शुगर सहित कई रोगों की जड़ है बदलती जीवशैली, काम का बढ़ता दबाव और गलत खानपान

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Study Report
बदलती जीवशैली, गलत खानपान बीपी-शुगर की जड़

Aaj Samaj (आज समाज), Study Report, नई दिल्ली: हर उम्र के लोगों में आज बीपी व शुगर यानी डायबिटीज की समस्या आम हो गई है और इसका मुख्य कारण काम का बढ़ता दबाव, बदलती जीवनशैली और खानपान की गलत आदते हैं। हाल ही में की गई एक स्टडी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर समय रहते किसी समस्या या रोग का पता लगा लिया जाए, तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है।

  • रोग का सही तरीके से निदान न होने पर कैंसर जैसी बीमारियों में आती हैं जटिलताएं

हर उम्र के लोगों की सेहत पर पड़ रहे गलत प्रभाव

बीएमजे क्वालिटी एंड सेफ्टी जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में आज के लाइफस्टाइल, खानपान की गलत आदतों आदि के हर उम्र के लोगों की सेहत पर पड़ रहे गलत प्रभाव को लेकर कई हैरान करने वाले खुलासे किए गए हैं। स्टडी में यह भी सामने आया है कि किस तरह बीमारी के गलत निदान के कारण दुनिया भर में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। स्टडी की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में हर वर्ष बीमारियों के गलत निदान के कारण लगभग 7.95 लाख लोगों की या तो मौत हो जाती या वे स्थाई रूप से विकलांग हो जाते हैं।

11 फीसदी मेडिकल इमरजेंसी का कारण बीमारी का गलत निदान

कैंसर जैसी बीमारियों में जटिलताएं भी सही तरीके से निदान न हो पाने की वजह से आती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि गलत तरीके से निदान की जाने वाली समस्याओं की सूची में सबसे ऊपर स्ट्रोक है और इस कारण कुछ स्थितियों में पीड़ित की जान जाने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही चार में से तीन लोगों में दिल का दौरा, संक्रमण और कैंसर जैसे गंभीर रोगों का खतरा अधिक होता है। स्टडी में यह भी सामने आया है कि 11 फीसदी मेडिकल इमरजेंसी बीमारी के गलत निदान की वजह से होती है। हालांकि, रोगों के आधार पर इसकी व्यापकता अलग-अलग हो सकती है। शोध के अनुसार दिल के दौरे की गलत निदान दर केवल 1.5 फीसदी है।

निदान में गलतियां कम हों तो बच सकती हैं लाखों जानें

शोधकर्ता और सेंटर फॉर डायग्नोस्टिक एक्सीलेंस के निदेशक डेविड न्यूमैन टोकर के अनुसार यदि अगर स्ट्रोक,सेप्सिस, निमोनिया और फेफड़ों के कैंसर के निदान में होने वाली गलतियों को 50 प्रतिशत भी कम किया जाए, तो स्थाई विकलांगता और मृत्यु के मामलों में हर साल 1.50 लाख तक की कमी आ सकती है। रिपोर्ट के अनुसार स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्तियों के समय रहते समस्या का निदान न होने के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले हैं। प्रोफेसर न्यूमैन टोकन के मुताबिक बीमारियों की पहचान में हुई गलतियां सबसे कम संसाधन वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। ऐसे में बीमारी के सही निदान के लिए रोगियों को भी लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

सब्जी व अनाज में कीटनाशक का उपयोग भी कई रोगों की उपज

अनाज और सब्जियों की सुरक्षित पैदावार के लिए जो कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, वह भी सेहत के लिए बेहद खतरनाक बन चुका है। बीते सात दशक में कीटनाशकों की खपत 45 गुना हो गई है और ऐसी सब्जियां व अनाज खाने से लोगों में कईं तरह की बीमारियां फैल रही हैं। वैश्विक स्तर पर खेतों में लगभग 30 लाख टन कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है और इनका एक बड़ा प्रतिशत जमीन में रिस कर पहुंचता है जो धरती को नुकसान पहुंचाने के साथ हमारे स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचाता है।

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