पटियाला में भारत बंद को मिला जबर्दस्त समर्थन
पटियाला: खेती सम्बन्धित कानून के पास करने के विरोध में पंजाब की धरती से शुरू हुआ किसान आंदोलन आज एक जन -सैलाब का रूप धारन कर चुका है। दिल्ली के बार्डर पर किसानों की तरफ से लगाऐ गए मोर्चों का माहौल का जो नज़र है , पंजाब की सांझेदारी की दर्शन का भौतिक मुज़ाहरा भी वहाँ देखने को मिल रहा है। किसान जत्थेबंदियों के भारत बंद बुलाऐ का आज पटियाला जिले में जबरदस्त स्वीकृति देखने को मिली। दोपहर तक शहरों के बाज़ार मुकम्मल तौर पर बंद रहे और किसानों के हक में अलग अलग स्थान पर रोश प्रदर्शनों का दौरान दुपहर तक चलता रहा।
किसान जत्थेबंदियों के भारत बंद के बुलाऐ को आज देशभर में जहाँ स्वीकृति मिला वहां ही पंजाबी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों, अध्यापकों और कर्मचारियों ने भी इस बुलाऐ की हिमायत में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के सभी गेट बंद करते किसानों के हक आवाज़ बुलंद की। विद्यार्थियों की अगुवायी चार जत्थेबंदियाँ ए.आई.ऐस्स.ऐफ्फ., ऐस्स.ऐफ्फ.आई., पी.ऐस्स.यू., और पी.ऐस्स.यू. (ललकार), ने की और वहां ही पंजाबी यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन, जुआइंट एक्शन समिति, ए कालास अफिसरज एसोसिएशन ने अध्यापक और कर्मचारी की अगुवायी की। पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में विद्यार्थियों और अध्यापक -कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सरकार को किसानों -कामगार के आगे झुकना पड़ेगा, अब केंद्र सरकार की तरफ से सिर्फ़ हारी हुई बाज़ी खेलने वाला काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार वित्तीय -सरमाया के आदेशों अनुसार सभी देश को कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में के देणें चाहती है। इसी के अंतर्गत खेती, शिक्षा और ओर सेवाओं का निजीकरण किया जा रहा है आज जब ज़रूरत थी खेती में ऐसे सुधार किये जाते जहाँ फसलों का कम से -कम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाता, किसानों के करज्यें पर लीक मारी जाती, किसानों की खुदखुशियें को रोकनो का प्रयास किया जाता और इसको सभी देश में एकसार लागू किया जाता, रोज़गार की गारंटी दी जाती, शिक्षा मुफ़्त और लाज़िमी की जाती परन्तु इसकी बजाय सरकार काले खेती कानून लिया रही है। जिस में कम से -कम समर्थन मूल्य का ख़ात्मा, खेती को कारपोरेटें हाथ बेचना, और कर्ज किसानी को और दबने वाला काम कर रही है। नेताओं ने कहा कि हाकिमों को अब जान लेना चाहिए कि बड़े -बड़े पहाड़ों जैसी हकूमतों को जन -सैलाब बहा कर ले जाता है, यह लोकतंत्र का बाढ़ अब थंमण वाला नहीं और अब मुल्क के लोग वह नहीं होने देंगे जो केंद्र की कॉर्पोरेट -समर्थकी सरकार चाहती है।
यातायात मुकम्मल बन्द
कस्बा देवीगढ़, भुनरहेड़ी, जोड़ीया सड़कें और बलबेड़ा के बाज़ार मुकम्मल बंद रहे और पटियाला -देवीगढ़ -पहेवा मार्ग पर 11 बजे से 3बजे तक जाम लगाया गया। इस जाम का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी के सचिव जोगिन्द्र सिंह ओला, डा: गुरमीत बिट्टू, भारतीय किसान यूनियन के राम सरने बहरू, भूपिन्दर सिंह दुधनसाधें और अकाली दल के सर्कल देवीगढ़ के प्रधान शानवीर सिंह ब्हमपुर, जीत सिंह मीरांपुर चेयरमैन मार्केट समिति, इन्द्रजीत सिंह संधू, कामरेड रमेश आज़ाद, किसान और दुकानदार कर रहे थे। इस मौके बातचीत करते जोगिन्द्र ओला और राम सरने बहरू ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश के किसानों विरुद्ध खेती काले कानून बना कर देश के किसानों की मौत के वारंट लिखे हैं जो सहणयोग नहीं। क्योंकि यह वह किसान हैं जिन्होंने देश के अन्न भंडार को अनाज के साथ भर कर देश के लोगों की भूख मिटायी है परन्तु आज उसी देश की सरकार ने किसानों को काले कानून बना कर ठंड की रातों में सड़कें और धरने देने के लिए मजबूर कर दिया है जो कि सरकार को बहुत महँगा पड़ेगा। उन कहा कि यदि केंद्र सरकार ने किसानों की माँगों न मानें तो देश के किसान मोदी सरकार का चलना मुश्किल कर देंगे। आज के इस धरने में सभी ही किसान जत्थेबंदियाँ, अलग अलग गाँवों से आए किसान, कांग्रेस पार्टी, अकाली दल, दुकानदार, आढ़ती और मुलाज़ीम शामिल हुए। इस मौके अकाली दल के सर्कल देवीगढ़ प्रधान शानवीर सिंह ब्हमपुर ने कहा कि अकाली दल किसान हितैषी पार्टी है जो सदा ही किसानों की पीठ पर रही है और अब भी इस सरकार और किसान की आर पार की लड़ाई में आखिरी दम तक साथ देगी।