Student-parent forum demonstrated about arbitrariness in private school fees: निजी स्कूलों की फीस के मामले में मनमानी को लेकर छात्र-अभिभावक मंच ने किया प्रदर्शन

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शिमला। छात्र-अभिभावक मंच ने शुक्रवार को निजी स्कूलों की मनमानी, लूट व प्रदेश सरकार के केवल ट्यू्शन फीस लेने के आदेश की अवहेलना के खिलाफ़ निदेशक उच्चतर व प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल उच्च शिक्षा संयुक्त सचिव प्रमोद चौहान व चंद्रेश्वर शर्मा तथा प्रारंभिक शिक्षा संयुक्त सचिव हितेश आज़ाद से मिला और ज्ञापन सौंप कर प्रदेश सरकार के आदेशों को लागू करने की मांग की। उन्होंने निजी स्कूलों पर कार्रवाई करने तथा उनकी मनमानी व लूट रोकने का भरोसा दिया।
मंच ने प्रदेश सरकार व निदेशक उच्चतर शिक्षा को चेताया कि वर्ष 2019 की तर्ज़ पर केवल ट्यूशन फीस लेने के निर्णय को अगर अक्षरशः लागू न किया गया व ट्यूशन फीस तिमाही के बजाए हर महीने के आधार पर न वसूली गई तो आंदोलन तेज होगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, सह संयोजक बिंदु जोशी, सदस्य फालमा चौहान व विवेक कश्यप ने कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में भी निजी स्कूल खुली लूट कर रहे हैं, लेकिन सरकार व निदेशक उच्चतर व प्रारंभिक शिक्षा खामोश हैं। निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी के साथ ही पूरी फीस वसूली जा रही है। हर महीने के बजाए तीन महीनों की फीस इकट्ठा एकमुश्त वसूली जा रही है।
मंच के इन नेताओं ने कहा कि ज्यादातर निजी स्कूलों द्वारा कोई भी ऑनलाइन क्लासेज़ नहीं लगाई जा रही हैं फिर भी वे पूरी फीस वसूल रहे हैं, जबकि वे सरकार के आदेश अनुसार ट्यूशन फीस भी नहीं वसूल सकते हैं। निजी स्कूल ज्यादा वसूली गई फीस व ट्रांसपोर्ट फंड को न तो सम्माहित कर रहे हैं और न ही रिफंड कर रहे हैं। निजी स्कूलों के लगभग 70 प्रतिशत अभिभावक निजी स्कूलों द्वारा फीस को लेकर बार-बार भेजे गए मोबाइल संदेशों के दबाव में अपने बच्चों के भविष्य की चिंता में इस तिमाही में एनुअल चार्ज, एडमिशन फीस, कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास रूम चार्ज, स्पोर्ट्स चार्ज, केयरज़ फंड, मिसलेनियस फंड व अन्य सभी प्रकार के फंड व फीस कैबिनेट का निर्णय आने से पूर्व ही जमा कर चुके हैं। इस जमा फीस में ट्यूशन फीस भी वर्ष 2020 में 8 से 20 प्रतिशत तक बढ़ाई गई फीस के आधार पर ही वसूली गई है। निजी स्कूल प्रबंधन इस ज़्यादा वसूली गई फीस को अगली किश्तों में सम्माहित करने में आनाकानी कर रहे हैं और न ही इस बढ़ी हुई फीस को वापस लौटा रहे हैं। इस ज़्यादा वसूली गई फीस को अगली किश्तों के रूप में सम्माहित करने अथवा वापस लौटाने के लिए सरकार ने कोई भी उचित मैकेनिज़्म तैयार नहीं किया है।
मेहरा ने कहा कि बहुत सारे निजी स्कूलों ने कोरोना काल का फायदा उठाते हुए अन्य चार्जेज को हटाकर 90 से 100 प्रतिशत फीस ट्यूशन फीस के नाम पर ही फीस बुकलेट में दर्शा दी है। ऐसे में इनकी ट्यूशन फीस को रेशनेलाइज़ किया जाए व उसी आधार पर अभिभावकों से फीस वसूली जाए। उन्होंने कहा कि ट्यूशन फीस किसी भी रूप में कुल फीस के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं वसूली जानी चाहिए। इसके लिए पूरा मैकेनिज़्म तैयार किया जाना चाहिए।

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