Stress: दफ्तर में बढ़ते काम का दबाव युवाओं में तनाव की गंभीर समस्या को जन्म दे रहा है। इस तनाव की वजह से सोचने और समझने की क्षमता कम हो रही है। साथ ही कार्यक्षमता और रचनात्मकता भी कम हो रही है। आपको जब भी तनाव होता है तो आप चिड़चिड़ी-सी हो जाती हैं। किसी से बात करने का मन नहीं करता, घर वालों और दोस्तों से ढंग से बात भी नहीं हो पाती। दफ्तर में लंबे समय तक काम करना, रात की शिफ्ट में काम करना, काम का दबाव और हमेशा बढ़ती मांगों के कारण आप तनाव में आ जाती हैं। तनाव का स्तर एक सीमा से ज्यादा बढ़ जाने पर यह दिमाग और शरीर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है, जो ठीक नहीं है।
दफ्तर में तनाव बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जिसका असर निजी जिंदगी पर दिखने लगता है। दफ्तर में बढ़ते तनाव के कारण कार्यक्षमता में कमी आ सकती है। पर्याप्त आराम न मिलने के कारण चीजों को लंबे समय तक याद रखने की क्षमता में गिरावट आती है और काम तथा व्यक्तिगत जीवन में संतुलन नहीं हो पाता है। इस वजह से परिवार के लिए समय न निकाल पाने के कारण आप मानसिक और शारीरिक, दोनों तरह से परेशान होने लगती हैं। आपको कामकाजी जीवन और निजी जीवन में संतुलन बनाना काफी मुश्किल हो जाता है, जिस कारण रिश्तों में तनाव पनपना लगता है।
दफ्तर में कौन-सी स्थिति आपको तनाव में डालती है, इसे पहचानने की कोशिश करें। किस बात से स्ट्रेस ट्रिगर हो रहा है, उसे जानने का प्रयास करें। चाहें तो रोज घर आकर एक डायरी में अपने दिन भर के दफ्तर के अनुभवों को लिखें। इससे आपको तनाव के कारण को पहचानने में मदद मिलेगी और आप उससे निपटने में सक्षम हो पाएंगी।
एक बार आपको तनाव का कारण पता चल जाए तो उस स्थिति से कैसे निपटना है, इसके लिए नकारात्मक रास्ता चुनने की जगह उससे कैसे सकारात्मक तरीके से निपटा जाए, इस बारे में सोचें। उदाहरण के लिए, अगर दफ्तर में किसी साथी से झगड़ा हो जाता है तो अगले दिन जाकर उससे शांति से बात करें। दोनों इस पर चर्चा करें कि आखिर झगड़े की स्थिति क्यों बनी और मिलकर रास्ता निकालें।
काम करते-करते या मीटिंग के बीच में ब्रेक जरूर लें। कई बार हम काम को समय पर पूरा करने के चक्कर में ब्रेक लेना भूल जाते हैं, जिसकी वजह से हमें काफी परेशानी और तनाव होने लगता है। इसलिए जरूरी है खुद को ब्रेक देना। इससे मन और तन, दोनों शांत रहते हैं। आप चाहें तो इस बीच एक कॉफी पी सकती हैं या किसी सहकर्मी से बात कर सकती हैं। इससे दिमाग को थोड़ी देर के लिए शांति मिलेगी।
निजी और कामकाजी जीवन में संतुलन बनाना सीखें। दोनों के बीच में एक अंतर रखें। दोनों को समय दें, दोनों की प्राथमिकता तय करें। साथ ही रोजाना मेडिटेशन जरूर करें। ध्यान करने से आपका दिमाग और मन शांत रहते हैं। आप सही ढंग से निर्णय ले पाती हैं, सही समय पर काम पूरा हो पाता है, जिससे कामकाजी जीवन आपके निजी जीवन को प्रभावित नहीं कर पाता।
काम के तनाव को हैंडल करने के लिए पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है, जैसे कि ओमेगा थ्री, फैटी एसिड, विटामिन्स और मिनरल्स। इसके साथ ही रोजाना व्यायाम करने से तनाव कम होता है।
मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान, दिल्ली के मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश कार्यस्थल पर तनाव का लंबे समय तक संपर्क शरीर में कोर्टिसोल और एड्रेनालाइन जैसे तनाव हार्मोनों के स्राव को बढ़ा सकता है, जो समय के साथ मस्तिष्क के रसायन और मूड नियमन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
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