परेशानी: आफत बनती जा रही खुले में घूम रहे पशुओं की बढ़ती तादाद
Aaj Samaj (आज समाज),Stray Animals Are Becoming A Problem For Farmers,पानीपत : सीमा पर जवान और खेत में किसान वाली पंक्तियां किसी ने ठीक कही है, क्योंकि जब तक खेतों में किसान और सीमा पर जवान डटे रहेंगे तब तक हमारा देश दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की करता रहेगा। सीमा पर जवान खेतों में किसान यह पंक्तियां पढ़ने में भले ही सरल है, लेकिन है उतनी ही कठिन भी हैं। कुछ ऐसा ही घटित हो रहा है काश्तकारों के साथ, जो सरहद पर डटे जवानों की तरह अपने खेतों की सरहदों पर रात भर ठंड की परवाह किए बगैर डटे हुए हैं। जी हां खुले में घूम रहे पशुओं की बढ़ती तादाद में काश्तकारों के लिए परेशानी का सबब बने हुए है। काश्तकार किसान अपनी फसल को बचाने के लिए खेतों में अपने-अपने रकबा क्षेत्रों की सरहदों पर डेरा डालने को मजबूर देखे जा रहे हैं, तो वहीं खुले में घूम रहे पशुओं की बढ़ती तादाद के समक्ष गौशालाओं ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं उनका कहना है कि गौशालाओं में तो पहले से ही पशुओं की भरमार है जिसके चलते उन्हें चारा आदि की किल्लत से पहले ही दो चार होना पड़ रहा है और दूसरा ठंड के मौसम में ज्यादा पशुओं को रखने के लिए जगह भी अपर्याप्त है इस मसले पर सवाल यह है कि आखिर इस समस्या का हल सरकार व प्रशासन क्यों नहीं निकाल रहा है। सरकार द्वारा गौशालाओं में मौजूद गोवंश की समय-समय पर संख्या रिपोर्ट मांगी जाती है, लेकिन खुले में घूम रहे गोवंश की रिपोर्ट कभी नहीं मांगी जाती है।
खुले में घूम रहे पशुओं से कोई नहीं है गांव अछूता
खुले में घूम रहे पशुओं से कोई भी गांव अछूता नहीं है चाहे गांव में गौशाला है या नहीं,लोग इनकी बढ़ती तादाद के लिए अमेरिकन नस्ल को जिम्मेदार मानते हैं इन पशुओं के झुंड रात को जब खेतों में किसानों के अरमानों पर तबाही मचाते हैं तो मजबूरन किसानों को इसका विकल्प ढूंढते हुए खेतों में कांटेदार तार लगाकर बाड़ाबंदी करवानी पड़ रही है खुले में घूम रहे यह पशु ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी भाईचारे पर भी भारी पड़ रहे हैं। पशुओं को लेकर उत्पन्न विवाद में पुलिस एहतियात के तौर पर मामला शांत तो करवा देती है लेकिन कई बार स्थिति भयंकर हो जाती है।
इस मामले में सरकार कोई भी कदम नहीं उठा रही
लगातार बढ़ रही सर्दी के चलते किसान वैसे ही परेशान हैं और ऊपर से बेसहारा घूम रहा गोवंश दोहरी समस्या पैदा कर रहा है। इस मामले में सरकार कोई भी कदम नहीं उठा रही है जिससे यह स्पष्ट है कि इस मसले पर सरकार की नीति और नियत दोनों में खोट है। इसका सीधा नुकसान किसानों को तो खेती के साथ तथा आम लोगों को सड़कों पर भुगतना पड़ रहा है। गांवों के आसपास सड़कों पर गोवंश का जमवाड़ा रहता है जहां अनेक हादसें हो चुके हैं। सरकार कोई स्थाई पर बंद करें।
कड़ाके की सर्दी के बीच किसान फसलों का पहरा देने को मजबूर
बेसहारा पशुओं की तादाद बढ़ने से किसानों को अपनी फसल की चिंता सताने लगी है, क्योंकि बेसहारा पशुओं की संख्या ज्यादा होने के कारण शाम होते ही पशु गांवों से खेतों की और अपना रुख कर लेते है। और गेहूं की फसल को खा जाते हैं। इससे अपनी फसल को बचाने के लिए किसान कड़ाके की ठंड के बीच खेतों में जाने वाले रास्तों पर जगह-जगह नाकाबंदी कर अपनी फसल की रक्षा करते है, लेकिन इसके बावजूद भी पशु कई बार किसानों के नाका लगाने से पहले ही खेतों में चले जाते है। जिससे किसानों की फसल को भारी नुकसान हो रहा है।
नन्हेडा गांव को पिछले वर्ष किया जा चुका है बेसहारा गायों से मुक्त
यमुना नदी की तलहेटी में बसे जिले का गांव नन्हेड़ा ऐसा गांव है जिसमें समाजसेवी संस्था यमुना सुधार समिति करीब पिछले वर्ष बेसहारा गायों से मुक्त कर चुकी है। समिति प्रदेशाध्यक्ष रतन सिंह रावल व समिति सदस्यों ने पिछले वर्ष मिलकर नन्हेड़ा गांव में जगह-जगह बैठी सैकड़ों गायों को एकत्रित किया और उन्हें गौशाला में छुडवाया था, ताकि गायों को इधर-उधर ना भटकना पड़े और किसानों को भी राहत की सांस मिल सकें। प्रदेशाध्यक्ष अधिवक्ता रत्नसिहं रावल ने कहा कि अगर ग्रामीण समिति सदस्यों का सहयोग करें तो यमुना सुधार समिति की पूरी टीम गांवों में घूम रही बेसहारा गायों को पकड़ कर गौशाला छुडवा सकते है, ताकि किसानों को परेशानी ना हो सके और उनकी फसल भी सुरक्षित हो सकें।