- प्रयागराज पहुंची हैं पत्नी लॉरेन पॉवेल
Steve Jobs Letter, (आज समाज), लंदन: ऐपल के सह-संस्थापक (दिवंगत) स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) का महाकुंभ-2025 पर लिखा पत्र 4.32 करोड़ में नीलाम हुआ है। बता दे कि स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स (Laurene Powell Jobs) भी महाकुंभ में प्रयागराज पहुंची हैं और इस बीच उनके पति के हाथों 1974 में महांकुभ पर लिखा गया पत्र सुर्खियां बटोर रहा है। इसमें आध्यात्मिक व काव्यात्मक पक्ष की एक दुर्लभ झलक का उल्लेख किया गया है।
बचपन के दोस्त टिम ब्राउन को संबोधित है पत्र
स्टीव जॉब्स के 19वें जन्मदिन 23 फरवरी से ठीक एक दिन पहले पोस्टमार्क किया गया यह पत्र उनके बचपन के दोस्त टिम ब्राउन को संबोधित है और इसमें कुंभ मेले के लिए उनके (स्टीव जॉब्स) भारत आने की योजना का जिक्र है। हाल ही में ललित कला एवं प्राचीन वस्तुओं के दुनिया के सबसे पुराने व सबसे बड़े नीलामीकर्ताओं में से एक निजी स्वामित्व वाले अंतरराष्ट्रीय नीलामी घर बोनहम्स (Bonhams) ने इसे 500,312 डॉलर (4.32 करोड़ रुपए) में नीलाम किया है। इसका गठन नवंबर 2001 में बोनहम्स एंड ब्रूक्स और फिलिप्स सन एंड नील के विलय से हुआ था।
जानें क्या लिखते हैं स्टीव जॉब्स
पत्र में स्टीव जॉब्स ने आध्यात्मिक आयोजन कुंभ के प्रति अपने आकर्षण का जिक्र किया था। उन्होंने इच्छा जताई थी कि वह भी कुंभ मेले में भाग लेंगे। पत्र में जेन बौद्ध धर्म का भी उन्होंने जिक्र किया है। कुंभ मेले में जाने की अपनी इच्छा जाहिर करते हुए जॉब्स ने पत्र में लिखा था , मैं कुंभ मेले के लिए भारत जाना चाहता हूं, जो अप्रैल में शुरू होता है। मैं मार्च में किसी समय जाऊंगा, अभी तक निश्चित नहीं हूं। हिंदू धर्म से गहराई से प्रभावित होकर उन्होंने पत्र के अंत में लिखा, शांति।
लॉरेन पॉवेल को महाकुंभ में कमला नाम दिया
स्टीव जॉब्स का पत्र सामने आने के बाद साफ हो गया है कि उनकी पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स अपने पति की इच्छा पूरी करने के लिए प्रयागराज महाकुंभ पहुंची हैं। उन्हें उनके गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि ने हिंदू नाम ‘कमला’ दिया है। 40 सदस्यीय टीम के साथ प्रयागराज पहुंचीं। वह ध्यान, क्रिया योग और प्राणायाम जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं में संलग्न हैं। महाकुंभ की उनकी यात्रा भारतीय परंपराओं के प्रति उनके गहन सम्मान और उनकी व्यक्तिगत आध्यात्मिक खोज को रेखांकित करती है।
नैनीताल में नीम करोली बाबा के आश्रम में आए थे स्टीव जॉब्स
स्टीव जॉब्स एक बार उत्तराखंड में नैनीताल स्थित नीम करोली बाबा के आश्रम में आए थे। हालांकि, नैनीताल पहुंचने पर उन्हें पता चला कि नीम करोली बाबा की पिछले साल मृत्यु हो गई थी। इससे विचलित हुए बिना, स्टीव जॉब्स कैंची धाम में आश्रम में रहे और नीम करोली बाबा की शिक्षाओं से सांत्वना प्राप्त की। उन्होंने भारत में सात महीने बिताए, और खुद को पूरी तरह से इसकी संस्कृति और आध्यात्मिकता में डुबो दिया।
वापसी पर माता-पिता जॉब्स को मुश्किल से पहचान पाए
स्टीव जॉब्स जब अमेरिका लौटे तो उनके माता-पिता उन्हें मुश्किल से पहचान पाए। उन्होंने बताया] मेरा सिर मुंडा हुआ था और मैं भारतीय सूती वस्त्र पहने हुए था। मेरी त्वचा धूप से गहरे, चॉकलेटी भूरे-लाल रंग की हो गई थी। स्टीव जॉब्स ने साधु के नारंगी वस्त्र भी अपनाए थे, जो उनकी आध्यात्मिक यात्रा के गहन प्रभाव को दर्शाता है।
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