आमतौर पर वकर्आउट करना सेहत के लिए हमेशा से ही फायदेमंद रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं इससे आप बुढ़ापे में भी तंदरूस्त रह सकते हैं। जी हां, रिसर्च के मुताबिक, रोजाना दौड़ना बढ़ती उम्र में आपकी सेहत के लिए फायदेमंद सकता है। इस स्टडी में पिछले 45 सालों से अमरीका के रनर्स के एक ग्रुप को ऑब्सर्व किया गया। इस रिसर्च के दौरान कुछ दिलचस्प सवाल सामने आए जैसे कि अभी हमारी फिटनेस कैसी है? क्या हम बुढ़ापे में भी फ्रेश और फिट दिखना चाहते हैं? कैसे युवावस्था में की गई फीजिकल एक्टिविटी बुढ़ापे में फिट रहने में मदद कर सकती है?
मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, एक्सरसाइज फिजियोलोजिस्ट जेक डेनियल ने अमेरिका के 50 साल पहले कुछ टॉप डिस्टेंस रनर्स के साथ काम करना शुरू किया था। उन्होंने रिसर्च के दौरान 26 प्रतभिागियों पर उनकी स्वास्थ्य और परफॉरमेंस की क्षमता से संबंधित एरोबिक कैपैसिटी जैसे कई टेस्ट किए थे। ये टेस्ट बीच-बीच में बार-बार किए गए।
एटी स्टिल यूनिवर्सिटी में जेक डेनियल की सहयोगी सारा एवरमैन भी इस स्टडी पर काम कर रही थीं। शोध के दौरान उन्हें पता चला कि रिसर्च में भाग लेने वाले प्रतिभागी, जो सप्ताह में कुछ घंटे साइक्लिंग या जॉगिंग करते थे, वे एक्सरसाइज करने के बावजूद भी फिट नहीं थे।
2013 में जब इन प्रतिभागियों का जब दोबारा टेस्ट किया गया तो पाया गया कि प्रत्येक व्यक्ति की एरोबिक कैपैसिटी 1968 और 1993 के मुकाबले कम थी। बावजूद इसके रिसर्च में ये भी पाया गया कि बेशक इन प्रतिभागियों की एरोबिक कैपैसिटी कम थी लेकिन सामान्य व्यक्ति कि तुलना में वे 10% अधिक हेल्दी थे। इतना ही नहीं, रिसर्च में ये भी पाया गया कि सामान्य व्यक्ति बुढ़ापे में जहां कार्डियोवस्कुलर टेस्टिंग के दौरान कम हेल्दी थे वहीं युवावस्था में एक्सरसाइज करने वाले लोगों का हार्ट हेल्दी था।
सारा एवरमैन का कहना है कि ये रिसर्च इन नतीजों पर निकली है कि युवावस्था में एक्सरसाइज, दौड़ना, जॉगिंग करने से वृद्धावस्था में फिट रहा जा सकता है। यानि युवावस्था में एक्सरसाइज बुढ़ापे में एरोबिक कैपैसिटी बढ़ा सकती है।