Statement of Dr. Virendra Singh Chouhan
‘वर्तमान संदर्भ में रचनात्मक लेखन : विविध आयाम’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
आज समाज डिजिटल, गुरुग्राम
रचनात्मक लेखन एक अभिव्यक्ति है जिसमें भाव, विचार, अनुभव और कल्पना एक साथ स्वरूप लेते हैं। विधा इसमें माध्यम बनती है। भाषा का विकास मनुष्य के भाव और विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए हुआ। सृजनात्मक लेखन में शब्द अपने संदर्भ के साथ अर्थ की अनेक छायाओं को रचते हैं।
चित्र, नृत्य, संगीत और साहित्य मानवीय रचनात्मकता के अलग अलग आयाम हैं। यह बात हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने गुरुग्राम के आरपीएस इंटरनेशनल स्कूल में हरियाणा ग्रंथ अकादमी और अर्णव कलश एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। संगोष्ठी का विषय था ‘वर्तमान संदर्भ में रचनात्मक लेखन और विविध आयाम’।
हमें सीखने-सिखाने की भारतीय ज्ञान परंपरा को भूलना नहीं चाहिए : चौहान Statement of Dr. Virendra Singh Chouhan
डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि उदीयमान कलाकारों को, जिनके अंदर सृजनात्मक अभिव्यक्ति की छटपटाहट होती है, उन्हें अक्सर किसी सहारे की आवश्यकता होती है। हमें सीखने-सिखाने की भारतीय ज्ञान परंपरा को भूलना नहीं चाहिए। विनम्र होकर ही गुरु से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान का मार्ग गुरु के चरणों से होकर जाता है। उन्होंने कहा कि जिस परिवेश में हमने जन्म लिया वहां साहित्य के बिना कुछ भी नहीं है। यहां तक कि मानव इतिहास के सबसे भीषण युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में भी दुनिया के सबसे बड़े महाकाव्य गीता का सृजन हुआ था। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि साहित्य और संगीत के बिना जीवन पशु के समान है।
कई लोगों ने अपने विचार रखे Statement of Dr. Virendra Singh Chouhan
डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। संगोष्ठी की बीज वक्ता महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक की डॉ. पुष्पा थीं। संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र में अंतरराष्ट्रीय कवि एवं संचालक डॉ. दिनेश रघुवंशी, मुख्य वक्ता आनंद प्रकाश आर्टिस्ट, आनंद कला मंच भिवानी, साहित्य सभा कैथल के डॉ. तेजेंद्र, पंचकूला से वरिष्ठ उपन्यासकार लाजपत राय गर्ग, हिसार से एडवोकेट मेजर शमशेर सिंह, जीजेयू हिसार के पत्रकारिता विभाग से देवांश शोधार्थी आदि ने अपने विचार रखे।
मंच संचालन डॉ. अनीता भारद्वाज ‘अर्णव’ ने किया Statement of Dr. Virendra Singh Chouhan
संगोष्ठी के द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि, लघु कथाकार एवं संचालक डॉ. प्रद्युम्न भल्ला ने की। उनके अलावा द्वारका दिल्ली से अनुराधा पांडेय, हिमाचल प्रदेश से परमजीत कोविद कहलूरी, महाराष्ट्र के महाड रायगढ़ से नीतू ठाकुर विदुषी, झारखंड के जमशेदपुर से आरती श्रीवास्तव विपुला ने भी अपने विचार रखे। संगोष्ठी के समापन सत्र देहली विश्वविद्यालय से पहुँचे डॉ. हरीश अरोड़ा ने सम्पन्न किया। मंच संचालन डॉ. अनीता भारद्वाज ‘अर्णव’ ने किया।अर्णव अध्यक्ष रमेश चंद्र कौशिक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
Statement of Dr. Virendra Singh Chouhan