‘ST-2303’ Tiger, रेवाड़ी : राजस्थान के सरिस्का अभयारण्य से 125 किलोमीटर की दूरी तय करके हरियाणा के रेवाड़ी के झाबुआ के जंगल में एक बाघ के भटक कर आने की खबरें सामने आई थी. अब दूसरी बार गुरुवार को यहाँ बाघ की तस्वीरें कैमरे में कैद हुई. ऐसा साल में दूसरी बार हुआ है कि बाग राजस्थान के सरिस्का नेशनल पार्क से निकलकर यहां पहुंचा है. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि नया इलाका ढूंढने की तलाश में यह यहां भटक कर आ गया है. इससे पहले जनवरी में भी यह यहां पहुंचा था और वापस लौट गया था.
शनिवार को देखे गए निशान
इससे पहले शनिवार को झाबुआ जंगल में इस बाघ के पंजों के निशान देखे गए थे. सोमवार को यह दोबारा से कैमरे में कैद हुआ. स्थानीय लोग अब भय के साए में जीने को मजबूर हैं. विशेषज्ञ इस बाघ के कारण स्थानीय लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने बताया कि जल्द- से- जल्द इसे ट्रेंकुलाइज कर लिया जाएगा. छोटे बाघ के लिए यह 800 एकड़ का जंगल बहुत छोटा है. उन्होंने इस बात की संभावना से भी इनकार किया कि बाघ से आसपास के गांव को खतरा नहीं है.
वन विभाग के अधिकारियों को आ रही दिक्कतें
वन विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि दूसरी बार बाघ को कैमरे में कैद किया गया है. इसे ट्रेंकुलाइज करना आसान काम नहीं है. रेवाड़ी के संभागीय वन अधिकारी दीपक पाटिल ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दो दिनों से रेवाड़ी में बरसात की वजह से टीम जंगल के अंदर नहीं जा पा रही है. मौसम की खराबी और घने जंगलों की वजह से बाघ को ट्रेंकुलाइज करना संभव नहीं हो पाया है.
बाघ को बाहर निकालने के हैं कई तरीके
अधिकारियों ने बताया कि जल्द- ही इस बाघ को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाएगा. सरिस्का टाइगर फाउंडेशन नामक एनजीओ के संस्थापक सदस्यों में से एक दिनेश दुरानी ने जानकारी देते हुए बताया कि बाघ को यहां से बाहर निकालने के कई तरीके हैं. सबसे पहले तो उसे आकर्षित करने के लिए पिंजरे में ताजा मास या जीवित जानवर रखा जा सकता है. दूसरा किसी मादा बाघ की आवाज की रिकॉर्डिंग का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
फिलहाल, बाग के प्रति आसपास के गांव के लोगों को सतर्क रहना चाहिए. इसके अलावा, मादा बाघ के मूत्र या गंध ग्रंथियां का इस्तेमाल करके भी इस बाघ को बाहर निकाला जा सकता है.