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Spiritual Aspect of Holi : फागुन के मास में हर तरफ फूल खिलते हैं तथा चारों ओर रंग-बिरंगी बहार होती है। होली का त्यौहार इसी फागुन मास में बड़े हर्षोल्लास व उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिसमें लोग एक-दूसरे से गले लगकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। जिस प्रकार होली के त्यौहार का एक बाहरी पहलू है, जिसमें कि एक दिन होलिका जलाई जाती है तथा अगले दिन एक-दूसरे पर रंग व गुलाल डालकर इस त्यौहार को पारंपरिक रूप से मनाया जाता है, लेकिन उसका एक रूहानी पहलू भी है।
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दुनिया में हमेशा एक दौर चलता रहता है, जिसमें सच और झूठ की लड़ाई होती रहती है। सच को दबाने के लिए झूठ बड़ी कोशिश करता है कि वह किसी न किसी तरह से छुप जाए, मगर सच एक ऐसी चीज़ है जो कभी भी छुप नहीं सकता, क्योंकि पिता-परमेश्वर सृष्टि के शुरूआत में सच थे, आज भी सच हैं और सृष्टि के अंत तक भी सच रहेंगे। होली का दिन इस बात का प्रतीक है कि आखिर में सच की विजय और झूठ की हमेशा हार होती है। Spiritual Aspect of Holi
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अपने अंदर की बुराईयों को जलाकर सदाचारी जीवन व्यतीत करें Spiritual Aspect of Holi
पूर्ण संतों के अनुसार होली जलाने का आध्यात्मिक महत्त्व यह है कि हम अपने अंदर की बुराईयों को जलाकर सदाचारी जीवन व्यतीत करें तथा जिस प्रकार हम बाहर एक-दूसरे पर रंग व गुलाल डालकर इस त्यौहार को मनाते हैं, उसी प्रकार हम पूर्ण गुरु की सहायता से ध्यान-अभ्यास द्वारा अपने अंतर में प्रभु के विभिन्न रंगों को देखकर सच्ची होली अपने अंतर में खेंले। इस त्यौहार का एक अन्य पहलू एक दूसरे पर रंग लगाना भी है। होली पर लोग सफेद कपडे़ पहनते है जिसका एक आध्यात्मिक पहलू भी है। सफेद रंग में अन्य सभी रंग शामिल है। इसी तरह पिता-परमेश्वर हम सबके भीतर हैं। जिस प्रकार सफेद रंग सभी रंगों का स्रोत है उसी प्रकार पिता-परमेश्वर सारी सृष्टि के स्रोत हैं।
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जिस प्रकार होली में विभिन्न रंग हमारे कपड़ों पर बहुरंगी आकृति बनाते हैं और हम उन आकृतियों को बदलने की कोशिश नहीं करते, उसी प्रकार हमें अपने जीवन में एक-दूसरे को प्रेमपूर्वक स्वीकार करना चाहिए। अगर हम एक देश या समुदाय के सदस्य हैं तो हमें दूसरों को उसी तरह स्वीकार करना चाहिए जिस तरह पिता-परमेश्वर सभी को स्वीकार करते हैं।
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