चेन्नई। भारत में हमेशा से स्पिनरों का बोलबाला रहा है लेकिन लगता है कि अब वह वक्त चला गया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण चेन्नई में रविवार को देखने को मिला, जब 198 गेंदें फेंकने के बाद भी स्पिनरों को एक भी विकेट नहीं मिला। एमए चिदंबरम स्टेडियम में भारत और वेस्टइंडीज के बीच खेले गए पहले वनडे मुकाबले में कुल 10 विकेट गिरे, लेकिन एक भी विकेट स्पिनरों को नहीं मिला। इनमें से आठ विकेट भारत और वेस्टइंडीज के दो विकेट गिरे। कैरेबियाई टीम ने यह मैच 8 विकेट से अपने नाम किया।
वेस्टइंडीज के लिए तेज गेंदबाज शेल्डन कॉटरेल, अल्जारी जोसफ और कीमो पॉल ने दो-दो विकेट चटकाए, जबकि कप्तान कीरोन पोलार्ड को एक सफलता मिली। स्पिनर हेडन वॉल्श और रोस्टन चेज ने इस मैच में क्रमश: 5 और 7 ओवर फेंके, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। भारत के दीपक चाहर और मोहम्मद शमी ने एक-एक विकेट हासिल किया। कुलदीप यादव ने 10 ओवर डाले, रवींद्र जडेजा ने भी 10 ओवर डाले, जबकि केदार जाधव ने एक ओवर डाला, लेकिन इन्हें सफलता नहीं मिली। मैच में अगर कुलदीप-चहल की जोड़ी रहती, तो तस्वीर कुछ और हो सकती थी।
भारत के स्पिनरों ने इस मैच में कुल 126 गेंदें डालीं। जबकि कैरेबियाई स्पिनरों ने 72 गेंदें, लेकिन इस विकेट पर किसी को सफलता नहीं मिली। स्पिनरों द्वारा भारत में यह अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। इससे पहले 2000 में पुणे में आॅस्ट्रेलिया और भारत का मुकाबला हुआ था, जिसमें 175 गेंदें फेंकने के बावजूद स्पिनरों को सफलता नहीं मिली थी। इसी तरह 1989 में मुंबई में भारत तथा वेस्टइंडीज के बीच खेले गए मुकाबले में स्पिनरों ने 162 गेंदें डाली थीं, लेकिन इसके बावजूद वे विकेट के लिए तरसते रहे थे। 198 गेंदें और कोई विकेट नहीं, यह भारत के लिहाज से रिकॉर्ड है, लेकिन विश्व स्तर पर 2001 में जिम्बाब्वे और बांग्लादेश के बीच ढाका में खेले गए वनडे मुकाबले में 228 गेंदें फेंकने के बावजूद स्पिनर विकेट नहीं ले सके थे। दूसरा आंकड़ा 222 गेंदों का है और यह घटना हरारे की है, जहां 1996 में पाकिस्तान और जिम्बाब्वे के स्पिनर विकेट लेने में नाकाम रहे थे। कुल चार वाकये ऐसे हुए हैं, जब मैच में 200 या उससे अधिक गेंदें फेंकने के बावजूद स्पिनरों को विकेट नहीं मिला है।
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